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भारत को दशहरे पर मिलेगा राफेल, वरिष्ठ अधिकारियों के साथ फ्रांस जाएंगे राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 8 अक्टूबर को राफेल विमान लेने के लिए फ्रांस जाएंगे। उनके साथ कई वरिष्ठ अधिकारी भी जाएंगे।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 03:06 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 03:10 PM (IST)
भारत को दशहरे पर मिलेगा राफेल, वरिष्ठ अधिकारियों के साथ फ्रांस जाएंगे राजनाथ सिंह
भारत को दशहरे पर मिलेगा राफेल, वरिष्ठ अधिकारियों के साथ फ्रांस जाएंगे राजनाथ सिंह

नई दिल्ली, एएनआइ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्रांसीसी फर्म डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित पहला भारतीय राफेल लड़ाकू विमान लेने के लिए 8 अक्टूबर को फ्रांस जाएंगे। पहले तक खबरें थी कि ये विमान 20 सितंबर को मिलने वाले हैं। 

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सरकारी सूत्रों का कहना है कि 8 अक्टूबर दो कारणों से महत्वपूर्ण है। दरअसल, उस दिन दशहरा और वायुसेना दिवस दोनों हैं। राजनाथ सिंह अजय कुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 8 अक्टूबर को फ्रांस से विमान लेने के लिए जाएंगे। हालांकि पहले तक ये तय किया गया था कि वर्तमान वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ 19-20 सितंबर को फ्रांस से राफेल विमान प्राप्त करने के लिए जाएंगे।

गौरतलब है कि भारत के लिए ये तारीख एतिहासिक होने जा रही है, क्योंकि विजयदशमी के दिन कई जगहों पर शस्त्रों की पूजा की जाती है उसी दिन भारत को राफेल सबसे बड़ा हथियार मिलने वाला है। हालांकि, विमानों को आधिकारिक तौर पर 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा, लेकिन वे पायलटों और कर्मियों के प्रशिक्षण के बाद मई 2020 में भारत में पहुंचना शुरू कर देंगे। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि शीर्ष सैन्य ब्रास के साथ-साथ डसॉल्ट एविएशन के वरिष्ठ अधिकारी, राफेल के निर्माता भी समारोह में उपस्थित होंगे। 

पहले ही भारतीय पायलटों को किया गया प्रशिक्षित
भारतीय पायलटों के छोटे बैचों को फ्रांसीसी वायु सेना के विमानों के लिए प्रशिक्षित कर दिया गया है। भारतीय वायु सेना मई 2020 तक तीन अलग-अलग बैचों में 24 पायलटों को प्रशिक्षित करेगी ताकि भारतीय राफेल लड़ाकू जेट को उड़ाया जा सके। सितंबर 2016  भारत ने फ्रांसीसी सरकार और डसॉल्ट एविएशन के साथ 36 लड़ाकू राफेल विमानों को लेकर सौदा किया था। 

यूपीए सरकार में नहीं हो पाया सौदा 
यूपीए सरकार के दौरान इस पर समझौता नहीं हो पाया, क्योंकि खासकर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मामले में दोनों पक्षों में गतिरोध बन गया था। इसके बाद साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई तो उन्होंने इस दिशा में काम शुरू किया और इसके बाद पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान इस डील को साइन किया गया।

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