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बेटी बोझ नहीं, बेटी पूरे परिवार की आन, बान और शान है: पीएम मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आप अपने आस-पास देखिए कि कैसे लड़कियां हमारे देश को गौरवान्वित कर रही हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 08 Mar 2018 08:00 AM (IST)Updated: Thu, 08 Mar 2018 05:49 PM (IST)
बेटी बोझ नहीं, बेटी पूरे परिवार की आन, बान और शान है: पीएम मोदी
style="text-align: justify;">माला दीक्षित, झुनझुनू। बेटियों को बोझ समझकर कोख में ही मार देने वाले लोगों को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की नसीहत देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि बेटियां बोझ नहीं होती बल्कि परिवार की आन बान और शान होती हैं। वे विभिन्न क्षेत्रों में देश को गौरान्वित कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बेटियों के प्रति समाज की सोच बदलनी होगी। अगर घर की सास इस काम को अपने हाथ में ले लेगी तो लड़कियों और लड़कों का समान अनुपात पाने के लक्ष्य में देर नहीं लगेगी। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का देश भर में विस्तार की घोषणा की और महिलाओं बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन का शुभारंभ किया।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उपरोक्त दोनों योजनाओं का शुभारंभ प्रधानमंत्री ने राजस्थान के झुनझुनू में किया। झुनझुनू वह जिला है जिसने 161 जिलों में चल रही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना में बाल लिंगानूपात सुधारने में सबसे अच्छा प्रदशर्न किया है। झुनझुनू में बाल लिंगानुपात सुधार में वृद्धि की दर 48 फीसद रही। प्रधानमंत्री ने लिंगानुपात सुधारने में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले देश भर के दस जिलों को पुरुस्कृत भी किया। इस मौके पर केन्द्रीय महिला बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और राजस्थान की मुख्यमत्री वसुंधरा राजे भी मौजूद थीं।

प्रधानमंत्री ने लड़कों के अनुपात में लड़कियों की संख्या में कमी पर चिंता जताते हुए कहा कि जब पता चलता है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को सफलता मिली है इसके चलते लिंगानुपात सुधरा है तो संतोष होता है। लेकिन कभी-कभी ये सोच कर बहुत पीड़ा होती है कि जिस देश की संस्कृति शिक्षा आदि इतनी अच्छी दिशा की रही हो वहां यह बुराई कैसे घर कर गई। आज हमें अपने ही घर में बेटी बचाने के लिए हाथ पैर जोड़ने पड़ रहे हैं। धन खर्च करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कई दशकों की विकृत मानसिकता के कारण हमने बेटियों को बलि देने का रास्ता चुन लिया। संतुलन से ही समाज चलता है। कई दशक तक बेटियां मारते रहे तभी असंतुलन पैदा हुआ। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें मालूम है कि उसे सुधारने में कई पीढ़ियां लगेंगी। अब हम तय करें कि जितने बेटे पैदा होंगे उतनी बेटियां पैदा होंगी। जितने बेटे पलेंगे उतनी बेटियां पलेंगी। बेटी बेटी एक समान हैं।
प्रधानमंत्री ने सरकारी अधिकारियों और आम जनता से अनुरोध किया कि लिंगनुपात सुधारने के लिए जन आंदोलन बनाना होगा। उन्होंने कहा कि पुरानी सोच थी कि बेटियां बोझ होती हैं, बेटियां बोझ कभी नहीं होतीं। बेटियां परिवार की आन बान शान होती हैं। देश की बेटियों के आगे बढ़ने और गौरान्वित करने के मौकों को याद करते हुए कहा कि हमारे देश की बेटियों ने स्पेस टेक्नोलॉजी में कितना काम किया है। झुनझुनू की बेटी फाइटर जेट उड़ा रही हैं। ओलंपिक में बेटियां मैडल लाती हैं तो गौरव होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग मानते हैं कि बेटे बुढ़ापे का सहारा बनेंगे तो हमने वो स्थिति भी देखी है जब चार-चार बेटे होते है उनकी अच्छी स्थिति होती है और मां-बाप वृद्धाश्रम में रहते हैं।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पोषण मिशन का शुभारंभ करते हुए कहा कि जब भी किसी के मन में पीएम शब्द आये तो नरेन्द्र मोदी नहीं बल्कि पोषण मिशन आना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए हर स्तर पर काम करना होगा। पोषण मिशन योजना 9000 करोड़ की लागत से चलाई जा रही है। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं जैसे मातृवंदना, उज्जवला आदि का भी जिक्र किया।
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने तीन साल से चल रही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की सफलता और उससे सुधरे लिंगानुपात का जिक्र किया। साथ ही महिलाओं के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और लाए जा रहे कानूनों जैसे मातृत्व अवकाश को बढ़ा कर छह महीने करना और मानव तस्करी विधेयक लाने की तैयारी की भी चचार् की। राजस्थान की मुख्य मंत्री वसुन्धरा राजे ने भाजपा के चुनावी विस्तार पर बधाई देते हुए महिलाओं के हित के लिए राजस्थान में चल रही योजनाओं की गिनती कराई।

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