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दावोस में 'आओ, नया विश्व बनाएं' का संकल्प लेकर वापस वतन लौटे पीएम मोदी

कहा-आइए हम मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाएं, जहां सहयोग और समन्वय हो, विभाजन और दरारें न हों। इसकी राह में उन्होंने तीन चुनौतियां भी बताई।

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 24 Jan 2018 10:42 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jan 2018 11:34 AM (IST)
दावोस में 'आओ, नया विश्व बनाएं' का संकल्प लेकर वापस वतन लौटे पीएम मोदी

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। स्विटजरलैंड के शहर दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में नया विश्व बनाने का संकल्प लेकर पीएम मोदी वापस वतन लौट चुके हैं। दुनिया भर से आए दिग्गज कंपनियों के प्रमुखों और विदेशी नेताओं के जमावड़े के बीच विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) में उद्घाटन भाषण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह साबित कर दिया कि क्यों उन्हें दुनिया के तीन सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार किया जाता है। तकरीबन 20 वर्षो बाद इस मंच से भारत का कोई प्रधानमंत्री वैश्विक समुदाय को संबोधित कर रहा था और मोदी ने इसका फायदा उठाते हुए भारत को एक बेहतरीन निवेश स्थल के तौर पर मार्केटिंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

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उन्होंने संरक्षणवाद को आतंकवाद की तरह खतरनाक बताया तो पड़ोसी देश पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। नए भारत (न्यू इंडिया) के बाद उन्होंने नए विश्व का नारा दिया। कहा-आइए हम मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाएं, जहां सहयोग और समन्वय हो, विभाजन और दरारें न हों। इसकी राह में उन्होंने तीन चुनौतियां भी बताई। इनमें संरक्षणवाद और आतंकवाद के अलावा उन्होंने जलवायु परिवर्तन को रखा।

हिंदी में मोदी का 50 मिनट का बेहद ओजपूर्ण भाषण भारतीय दर्शन के साथ ही बुद्ध, गांधी व टैगोर के विचारों व उपनिषदों की उक्तियों से भरा हुआ था। दुनियाभर के दिग्गज वैश्वीकरण पर भारत का नजरिया जानने को इच्छुक थे, ऐसे में मोदी ने संरक्षणवाद को बढ़ावा देने वाली ताकतों को चेतावनी दे डाली। वैश्वीकरण की रंगत खोने की बात करते हुए मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि हाल के दिनों में संरक्षणवाद की राह पर चल रहे देशों की नीतियों का भारत समर्थन नहीं करता।

गिनाई तीन चुनौतियां

संरक्षणवाद: संरक्षणवाद को दुनिया के समक्ष तीन सबसे बड़ी चुनौतियों में शामिल करते हुए कहा कि 'संरक्षणवाद आतंकवाद की तरह ही घातक साबित हो सकता है।' मोदी के इस बयान का निहितार्थ सीधे तौर पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों के विरोध के तौर पर देखा जा रहा है जिसमें अमेरिकी उत्पाद, अमेरिकी कारोबार व अमेरिकी मूल के व्यक्तियों को पहले वरीयता देने की बात की जा रही है।

जलवायु परिवर्तन : विश्व के लिए यह सबसे बड़ा खतरा है। ग्लेशियर गर्म हो रहे हैं। आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है। बहुत से द्वीप डूब रहे हैं, या डूबने वाले हैं। बेहद गर्मी, ठंड, बारिश, बाढ़ व सूखे के रूप में एकदम विपरीत मौसम का सामना करना पड़ रहा है। हर कोई कहता है कि कार्बन उत्सर्जन कम करो, लेकिन ऐसे कितने देश या लोग हैं जो विकासशील देशों और समाजों को उपयुक्त टेक्नालॉजी व संसाधन मुहैया कराने में मदद करना चाहते हैं? दूसरा तरीका मानव प्रकृति के बीच जंग खत्म करने का है। भारतीय उपनिषदों में कहा गया था- संसार में रहते हुए उसका संयम के साथ भोग करो, और किसी दूसरी की संपत्ति का लालच मत करो। ढाई हजार साल पहले अपरिग्रह को अपने सिद्घांतों में अहम स्थान दिया।

आतंकवाद : आतंकवाद को दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों में गिनाते हुए पड़ोसी देश पाकिस्तान पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नुकसान और इसके खतरनाक परिणामों को सभी देश समझ रहे हैं और वह उसे दोहराना नहीं चाहते। लेकिन आतंकवाद जितना खतरनाक है उतना ही खतरनाक है अच्छे और बुरे आतंकवाद (गुड टेररिस्ट और बैड टेररिस्ट) में अंतर करना। सनद रहे कि पड़ोसी देश पाकिस्तान हमेशा से आतंकवाद पर गुड टेररिस्ट और बैड टेररिस्ट की बात करता है। उसके लिए कश्मीर के आतंकी गुड टेररिस्ट हैं, जबकि पाकिस्तान में पनाह लिए अफगान आतंकी बैड टेररिस्ट हैं।

भारत में ला रहे बदलाव

प्रधानमंत्री ने भारत में 'रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म' की नीतियों का जिक्र करते हुए कहा कि इन बदलावों का नतीजा है कि भारत में निवेश करना, कारोबार करना, पर्यटन के लिए जाना इत्यादि पहले की तुलना में बहुत आसान हो चुका है। अधिकतर क्षेत्रों में स्वत: मंजूरी के मार्फत विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी गई है। तीन साल में सैकड़ों पुराने और बेकार कानूनों को हटाने का काम किया गया है। पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जीएसटी जैसे कदम उठाए हैं।

पुराने और नए भारत का फर्क बताया

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इससे पहले 1997 में भारतीय प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा यहां आए थे। लेकिन करीब दो दशक बाद स्थितियां काफी बदल गई है। इस संबंध में उन्होंने कुछ ऐसी तुलनाएं कीं-

-भारत की अर्थव्यवस्था 400 अरब डॉलर की थी, आज इससे छह गुना है।

-तब न बिग डाटा था, न आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस।

-न ओसामा था और न ही हैरी पॉटर

-तब न गूगल था, न अमेजन। अमेजन का मतलब नदी और घना जंगल था।

-1997 में ट्वीट सिर्फ चिडि़या करती थी।

-अब टेक्नॉलाजी जोड़ने, तोड़ने और मोड़ने के काम आ रही है। सोशल मीडिया में इसके तीनों आयाम दिखाई दे रहे हैं।

-डाटा से अवसर व चुनौतियां बढ़ी हैं। इस पर नियंत्रण की चुनौती है। डाटा के पहाड़ बन रहे हैं।

-भारत व भारतीयता का प्रतिनिधि होने के नाते कह रहा हूं कि हम तोड़ने नहीं, जोड़ने में विश्वास करते हैं।

मोदी ने रखी खास बातें

1. वर्ष 2025 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की होगी भारतीय अर्थव्यवस्था

2. बुरे और अच्छे आतंकवाद में भेद करना बेहद खतरनाक

3. निवेशकों के लिए रेड टेप खत्म, रेड कार्पेट बिछाया

4. भारतीय दर्शन के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत से कराया अवगत

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