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MP Politics: नाराज और महाराज खेमे में संतुलन बनाएगी भाजपा, शीर्ष नेतृत्‍व का दबाव बढ़ा

मध्‍य प्रदेश में शिवराज की स्थायी सरकार के लिए उप चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना भाजपा के लिए जरूरी है इसलिए शीर्ष नेतृत्व का संतुलन बनाने का दबाव बढ़ा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 12:05 AM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 12:05 AM (IST)
MP Politics: नाराज और महाराज खेमे में संतुलन बनाएगी भाजपा, शीर्ष नेतृत्‍व का दबाव बढ़ा

आनन्द राय, भोपाल। शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक और भाजपा के असंतुष्ट नेताओं की खेमेबंदी सतह पर आ गई है। इसको लेकर ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया 'महाराज' और भाजपा के नाराज खेमा राज्‍य में सुर्खियों में है। ऐसे में दोनों की खेमेबाजी कुछ समय बाद होने वाले उपचुनाव को प्रभावित कर सकती है। चूंकि मध्‍य प्रदेश में शिवराज की स्थायी सरकार के लिए उप चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना भाजपा के लिए जरूरी है इसलिए शीर्ष नेतृत्व का संतुलन बनाने का दबाव बढ़ा है। आपसी कड़वाहट को हर हाल में रोकने की हिदायत दी गई है।

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पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के ट्वीट के बाद बढ़ी चिंता

ग्वालियर में राजमहल के विरोध में हमेशा आवाज बुलंद करने वाले पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने अब तगड़ा हमला किया है। सिंधिया समर्थक मंत्रियों के ग्वालियर जाने पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमास्थल पर न जाने को मुद्दा बनाकर उन्होंने सिंधिया को सीधे घेरने की कोशिश की है। मर्णिकर्णिका फिल्म के प्रदर्शन के दौरान भाजपा ने सिंधिया राजघराने और झांसी की रानी के मतभेद को लेकर आंदोलन का रख अपनाया था। भाजपा के जिम्मेदार नेता अब यह स्वीकार करने लगे हैं कि इस तरह के बयान और व्यवहार का असर उप चुनाव पर पड़ेगा। इसीलिए केंद्रीय नेतृत्व ने सख्त लहजा अपनाया है। मध्य प्रदेश इकाई को असंतुष्ट नेताओं और सिंधिया समर्थकों के बीच तालमेल बिठाने की जिम्मेदारी दी गई है।

उपचुनाव को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व का बढ़ा दबाव

ध्यान रहे कि इसके पहले कई नेताओं ने अपने बयान से माहौल तल्ख किया है। बिना विधानसभा सदस्य रहते हुए भी सिंधिया समर्थक 14 पूर्व विधायकों के शिवराज सरकार में मंत्री बनने के बाद से ही भाजपा का एक तबका नाराज चल रहा है।

पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई लगातार ट्वीट कर हमलावर हैं। वह सिंधिया समर्थकों पर तंज कसने का कोई मौका चूक नहीं रहे हैं। मंत्रिमंडल विस्तार के समय मंदसौर में विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया के समर्थकों की नाराजगी फूटी जबकि इंदौर विधायक रमेश मेंदोला को मंत्री न बनाए जाने पर उनके एक समर्थक केआत्मदाह की कोशिश जगजाहिर है। रायसेन के विधायक रामपाल सिंह के समर्थकों ने भी अपनी पीड़ा जाहिर की। इस तरह प्रदेश भर में सिंधिया को लेकर भाजपा केकई वरिष्ठ नेताओं ने असंतोष जाहिर किया। रही सही कसर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने पूरी कर दी और उन्होंने भी मंत्रिमंडल के जातीय संतुलन पर सवाल उठा दिया।

भाजपा संगठन के अनुरूप खुद को ढाल रहे सिंधिया

मध्य प्रदेश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया की जिद के कई उदाहरण हैं लेकिन अब भाजपा में वह संगठन के अनुरूप खुद को ढाल रहे हैं। इसका सबसे प्रमुख उदाहरण भाजपा सांसद केपी यादव से उनकी फिर से निकटता है। केपी यादव ने ही 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना संसदीय क्षेत्र से सिंधिया को हराया था। किसी दौर में सिंधिया के साथ सेल्फी लेकर खुश होने वाले केपी यादव अब उनके समानांतर राजनीति कर रहे हैं लेकिन, सिंधिया ने आगे बढ़कर उनका स्वागत किया। दोनों के बीच की गलतफहमी दूर हुई और अब दोनों ने मजबूती से एक दूसरे के साथ चलने का एलान किया है।

केंद्रीय नेतृत्व का मिल रहा मार्गदर्शन

मध्य प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि 'मध्य प्रदेश बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। स्वाभाविक तौर पर केंद्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है। समन्वय के लिए वरिष्ठ मार्गदर्शन करते हैं। इस समय भी राज्य की इकाई को राष्ट्रीय नेतृत्व का मार्गदर्शनन प्राप्त हो रहा है।'


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