भविष्य के भारत की तस्वीर पेश करेगी विज्ञान कांग्रेस, 30 हजार प्रतिनिधि लेंगे हिस्सा
भारतीय विज्ञान कांग्रेस मेड इन जापान की मानसिकता से बाहर निकलकर मेक इन इंडिया के दौर में शान से प्रवेश करते भविष्य के भारत की तस्वीर पेश करेगी।
जेएनएन, जालंधर। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में तीन जनवरी से शुरू होने जा रही 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस (आईएससी) 'मेड इन जापान' की मानसिकता से बाहर निकलकर 'मेक इन इंडिया' के दौर में शान से प्रवेश करते भविष्य के भारत की तस्वीर पेश करेगी। आईएससी-2019 का उद्घाटन पुरानी परंपरा को कायम रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसके लिए युद्धस्तर पर तैयारियां की जा रही हैं। डीसी कपूरथला मोहम्मद तैयब ने खुद एलपीयू कैंपस में पहुंचकर सभी तैयारियों का जायजा लिया।
भारतीय साइंस कांग्रेस में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी, साइंस एंड टेक्नोलॉजी के पॉलिसी मेकर, प्रख्यात साइंटिस्ट, विभिन्न यूनिवसिर्टी के रिसर्च स्कॉलर एवं चाइल्ड साइंटिस्ट समेत 30,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसमें तीन प्रमुख कांफ्रेंस होगी, जिसमें साइंस कांग्रेस के अलावा चिल्ड्रन कांग्रेस व वूमेन कांग्रेस प्रमुख हैं। साइंस कांग्रेस में एलपीयू स्टूडेंट्स द्वारा सोलर ऊर्जा से तैयार की गई 12 सीटर ड्राइवर विहीन बस मुख्य आकर्षण का केंद्र होगी।
पांच दिन चलने वाली इस साइंस कांग्रेस में लगभग 100 से अधिक साइंटीफिक एवं टेक्लोलॉजी पर आधारित कार्यक्रम होंगे। डीआरडीओ, इसरो, डीएसटी, एम्स, यूजीसी, एआइसीटीई एवं अमेरिका, ब्रिटेन, भारत व अन्य देशों के कई प्रमुख यूनिवर्सिटी के प्रख्यात वैज्ञानिक हिस्सा लेंगे।
एलपीयू के कुलपति अशोक मित्तल ने बताया कि आइएससी के दूसरे दिन चार जनवरी को बाल विज्ञान कांग्रेस में 10 से 17 वर्ष के चिल्ड्रन साइंटिस्ट, इनोवेटर्स, साइंस एवं रिसर्च को अगले स्टैप तक ले जाने पर गहन विचार मंथन करेंगे। आइएससी के तीसरे दिन दो दिवसीय साइंस कम्युनिकेटर्स मीट-2019 का उद्घाटन किया जाएगा। उसका मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक सूचना के प्रसार एवं आम लोगों के बीच वैज्ञानिक सोच पैदा करने के तरीकों पर विचार मंथन होगा।पांच जनवरी को महिला विज्ञान कांग्रेस में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं समाज में महिलाओं के योगदान विषय पर चर्चा होगी। इसके अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र की विख्यात हस्तियों की अध्यक्षता में 14 पूर्ण सत्रों का भी आयोजन किया जाएगा। उसमें प्रख्यात वैज्ञानिक यंग साइंटिस्ट व चिल्ड्रन साइंटिस्ट के साथ उनके रिसर्च पर चर्चा करेंगे व उन्हें नई दिशा देंगे।
एलपीयू में होने वाली साइंस कांग्रेस के लिए बनाए जा रहे तैयार किए जा रहे पंडाल।
विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा
भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन (आइएससीए) के जनरल प्रेसिडेंट डॉ.मनोज कुमार चक्रवर्ती के अनुसार आईएससी का 106वां सत्र भारत के भविष्य के विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। कारण, यह मंच भारत के चिल्ड्रन साइंटिस्ट, यंग साइंटिस्ट के बीच विचारों एवं टेक्नोलॉजी व रिसर्च के नए तरीकों के आदान-प्रदान का दुनिया का सबसे बड़ा मंच है।
केंद्रीय मंत्री ने जारी किया संदेश
भारतीय विज्ञान कांग्रेस को लेकर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एक संदेश जारी किया है। उसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें विश्वास है कि भविष्य आईएससी-2019 भविष्य के भारत की तस्वीर पेश करेगा। संभावनाओं व उम्मीदों का नया रास्ता प्रशस्त करेगी भारतीय विज्ञान कांग्रेस।
शहर के होटल बुक
106वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में लगभग 15 हजार की संख्या में बाहर से वैज्ञानिक व फैकल्टी के पहुंचने के चलते शहर के सभी होटल बुक कर लिए गए हैं। फिलहाल बाहरी लोगों के तीन दिन यहां कोई कमरा नहीं मिल सकेगा।
हॉस्टल करवाए खाली
बड़ी संख्या में विभिन्न यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स व रिसर्च स्कॉलर के आने के कारण एलपीयू हॉस्टल के सभी कमरे खाली करा लिए गए हैं। वहां पर विद्यार्थियों व रिसर्च स्कॉलर्स को रोकने की व्यवस्था की जानी है।
डीसी ने लिया तैयारियों का जायजा
डीसी कपूरथला मोहम्मद तैयब ने एपीयू में प्रधानमंत्री के आगमन की सभी तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए कैंपस में की गई सभी व्यवस्थाओं को देखा, साथ ही यूनिवर्सिटी द्वारा व्यवस्थाओं में लगाए गए यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के साथ भी बैठक की। उनके साथ बैठक में फगवाड़ा की एडीसी बबिता कलेर, एडीसी राहुल छाबा, एसडीएम फगवाड़ा डॉ.सुमित मुध, एसपी फगवाड़ा मनदीप ङ्क्षसह, असिस्टेंट कमिश्नर नगर निगम सुरजीत ङ्क्षसह मौजूद थे।
क्या है इंडियन साइंस कांग्रेस
इंडियन साइंस कांग्रेस हर साल 3 से 7 जनवरी तक होगी है, प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करते हैं। जिसमें प्रख्यात वैज्ञानिक, यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर, चिल्ड्रन साइंटिस्ट हिस्सा लेते हैं। इसके लिए जिला व प्रदेश स्तर पर साइंस कंपटीशन से निकलकर राष्ट्रीय साइंस कांग्रेस के लिए प्रतिभागियों का चयन किया जाता है। जहां रिसर्च स्कॉलर प्रख्यात साइंटिस्ट के साथ मंथन करके अपनी रिसर्च को एक दिशा दे सकते हैं। साइंस कांग्रेस में होने वाले मंथन पर एक रिपोर्ट तैयार की जाती है, इसी रिपोर्ट के आधार पर देश में विज्ञान व टेक्नोलॉजी की भविष्य की योजनाएं तैयार की जाती हैं।