नया नहीं है नौसेना का सरकार से टकराव, पहले भी आ चुकी है ऐसी स्थिति
मुंबई नौसेना की पश्चिमी कमांड का मुख्यालय है। दक्षिण मुंबई में कमांड का मुख्यालय होने के साथ-साथ नौसेना के कई महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठान भी हैं।
ओमप्रकाश तिवारी मुंबई। केंद्रीय परिवहन एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी द्वारा गुरुवार को नौसेना पर की गई एक टिप्पणी पर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। लेकिन नौसेना और सरकार के बीच टकराव पहले भी होता रहा है और नौसेना के सख्त रुख के कारण कई परियोजनाएं रोकनी पड़ी हैं।
मुंबई नौसेना की पश्चिमी कमांड का मुख्यालय है। दक्षिण मुंबई में कमांड का मुख्यालय होने के साथ-साथ नौसेना के कई महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठान भी हैं। नौसेना के कई युद्धपोत, पनडुब्बियां और हेलीकॉप्टर दक्षिण मुंबई के ही विभिन्न स्थानों पर खड़े होते हैं। इसलिए नौसेना इस क्षेत्र में अन्य सामाजिक गतिविधियों अनुमति देने से हिचकिचाती है। उसकी इसी हिचक के कारण अतीत में कई बार राज्य सरकार एवं नौसेना के बीच टकराव की स्थिति आ चुकी है। विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत की सेवानिवृत्ति के बाद उसे देश के पहले पोत संग्रहालय में बदलने की चर्चा चल रही थी। योजना थी कि विक्रांत को गेटवे ऑफ इंडिया से कुछ दूर ऑयस्टर रॉक के पास स्थापित कर उसे संग्रहालय में बदला जाएगा, जो मुंबई आनेवाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने-जाने पर थी नौसेना को आपत्ति
चूंकि विमानवाहक पोत का डेक काफी विशालकाय होता है। इसलिए सरकार उसका एक इस्तेमाल हेलीपैड बनाने के लिए भी करना चाहती थी। क्योंकि दक्षिण मुंबई में एक हेलीपैड की जरूरत लंबे समय से महसूस की जाती रही है। देश की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र होने के कारण इसका व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा सकता था। लेकिन नौसेना का अपना हेलीबेस आईएनएस शिक्रा (पहले का नाम आईएनएस कुंजाली) बिल्कुल निकट होने के कारण नौसेना ने विक्रांत को हेलीपैड के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी। नौसेना को बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने-जाने पर भी आपत्ति थी। जिसके कारण विक्रांत देश का पहले नौसैनिक संग्रहालय बनते-बनते रह गया। अंततः उसे कबाड़ के भाव बिकना पड़ा। अब देश के दूसरे विमानवाहक पोत विराट को भी वर्तमान सरकार उसी प्रकार के संग्रहालय में बदलना चाहती है। लेकिन उसे दक्षिण मुंबई के बजाय मुंबई के ही बाहर वसई क्षेत्र में खड़ा करने पर विचार किया जा रहा है।
राज्य सरकारकी महत्वाकांक्षई परियोजना पर भी आपत्ति जता चुकी है नौसेना
राज्य सरकार द्वारा राजभवन के पास समुद्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की विशालकाय प्रतिमा एवं स्मारक बनाने की महत्त्वाकांक्षी परियोजना पर भी नौसेना आपत्ति जता चुकी है। हालांकि ये आपत्ति अब दूर हो चुकी है। गेटवे ऑफ इंडिया से करीब एक घंटे की दूरी पर स्थित एक एलीफैंटा द्वीप तक बिजली पहुंचाने के लिए समुद्र के अंदर केबल ले जाने की अनुमति देने में भी नौसेना ने कई दशक का समय ले लिया।
आदर्श सोसायटी़ की इमारत को लेकर भी चल रहा था विवाद
कारगिल युद्ध के शहीदों की विधवाओं के लिए बनी विवादों में घिरी आदर्श सोसायटी की इमारत की जगह को लेकर अभी भी नौसेना और राज्य सरकार में विवाद चल रहा है। महाराष्ट्र सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा मुंबई महानगर के पश्चिमी एवं पूर्वी तट पर विकास की कई परियोजनाएं शुरू की जानी हैं। जिनपर नौसेना की आपत्तियों को लेकर ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की वह टिप्पणी सामने आई है, जिसे लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत उन्हें नौसेना से माफी मांगने की सलाह देते दिखाई दे रहे हैं।
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