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दिग्विजय सिंह ने फिर बोला हमला, कहा- आरएसएस-भाजपा की नजर हमेशा पीएम कुर्सी पर रही

मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद लगातार तीसरे दिन आरएसएस और भाजपा पर हमला बोला।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 07:48 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 07:48 PM (IST)
दिग्विजय सिंह ने फिर बोला हमला, कहा- आरएसएस-भाजपा की नजर हमेशा पीएम कुर्सी पर रही

भोपाल, राज्‍य ब्‍यूरो। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद लगातार तीसरे दिन आरएसएस और भाजपा पर हमला बोला। शनिवार को उन्होंने कई ट्वीट कर कहा, 'आरएसएस और भाजपा की नजर हमेशा ही प्रधानमंत्री की कुर्सी पर रही है। मैं 2004 से 2014 तक पद से दूर रहा और कांग्रेस की सेवा की, जबकि सचाई यह है कि इस दौरान कांग्रेस ने मुझे राज्यसभा में जाने और मंत्री बनाने का ऑफर दिया था।'

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सिंधिया पर कसा तंज 

सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को 'महाराज' संबोधित करते हुए तंज किया, 'कांग्रेस और गांधी परिवार को क्यों धोखा दिया और राज्यसभा व मोदी-शाह मंत्रिमंडल में बैठने को क्यों तैयार हो गए।'

विजयाराजे सिंधिया के ऑफर को ठुकराया 

दिग्विजय ने आरएसएस पर आरोप लगाया कि 1925 से 1990 तक हिंदू राष्ट्र के उद्देश्य से अलग हुए बिना सत्ता पाने के लिए उसने इंतजार किया। प्रधानमंत्री की कुर्सी पाने के लिए समाजवादी नेता जेपी व नीतीश कुमार को मूर्ख बनाया। दिग्विजय सिंह ने विजयाराजे सिंधिया के प्रति सम्मान जताते हुए बड़ा खुलासा किया कि 1970 में वे जब राघौगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष थे, तब उन्हें जनसंघ (अब भाजपा) में शामिल करने का प्रयास किया गया था। मगर जब मैंने गुर गोलवलकर और आरएसएस के विचारों के बारे में पढ़ा तो विनम्रतापूर्वक विजयाराजे सिंधिया के ऑफर को ठुकरा दिया था।

मेरा धर्म इंसानियत है

सिंह ने ट्वीट में कहा, 'मानवता के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करता हूं, न कि स्वयं के अधिकार के लिए। मेरा धर्म इंसानियत है।' प्रधानमंत्री मोदी और उनके प्रशंसकों पर तंज कसते हुए कहा कि वह उनके प्रशंसक नहीं हैं, लेकिन हर संभव मुद्दे और हर अवसर पर देश को ध्रुवीकृत करने के उनके साहस व साहसपूर्ण प्रयासों की वे प्रशंसा करते हैं। सिंह ने कहा कि आरएसएस के पुराने कार्यकर्ताओं को उन्होंने देखा है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है, लेकिन आज के प्रचारकों में मोदी सबसे अच्छा उदाहरण हैं।  

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