बड़ी राहत पर भावुक हुए नवजोत सिद्धू, सुप्रीम कोर्ट से गैरइरादतन हत्या मामले में बरी
नवजोत सिंह सिद्धू को रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट से बरी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने उनकाे गैरइरादत हत्या के आरोप से बरी कर दिया। उन पर मारपीट के लिए जुर्माना लगाया गया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पूर्व क्रिकेटर आैर पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को रोडरेज मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनको इस मामले में महज एक हजार जुर्माना लगाकर छोड़ दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट द्वारा सुनाई गई तीन साल की कैद की सजा को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को मारपीट का दोषी तो करार दिया, लेकिन गैरइरादतन हत्या के अारोप से बरी कर दिया।
इस तरह सिद्धू को अपनी राजनीतिक पारी में बड़ा जीवनदान मिला है। अब वह अपनी सियासी पारी का नए सिरे से आगाज कर सकेंगे। कोर्ट के इस फैसले का पंजाब की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। सिद्धू के समर्थकों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुशी की लहर दौड़ गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ मारपीट का दोषी माना और एक हजार रुपये जुर्माना लगाकर छोड़ा
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने मंगलवार को इस मामले पर फैसला सुनाया। जे चेलमेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने कहा कि सिद्धू भादसं की धारा 323 के तहत मारपीट करने के दोषी हैं और इस अपराध के लिए उन पर एक हजार रुपये का जुर्माना किया जाता है। पीठ ने इस मामले में दूसरे आरोपी रुपिंदर सिंह काे बरी कर दिया। सिद्धू को इस तरह पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा दी गई तीन साल कैद और एक लाख जुर्माना की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
नवजोत सिंह सिद्धू को लड्डू खिलाकर बधाई देते पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़।
पीठ ने 18 अप्रैल को सुनवाई के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सिद्धू ने दावा किया था कि गुरनाम सिंह की मौत का कारण विरोधाभासी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी गुरनाम सिंह की मौत कारण स्पष्ट नहीं कर पाई है। सिद्धू इस समय पंजाब सरकार में पर्यटन मंत्री हैैं। मामले में दोषी ठहराए गए सिद्धू के साथी रुपिंदर सिंह संधू ने भी अपील की थी। संधू को भी हाई कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ सहित कई नेताओं ने बधाई दी। सुनील जाखड़ और अन्य नेता सिद्धू के आवास पर पहुंचे व उनको बधाई दी। जाखड़ ने लड्डू खिलाकर सिद्धू का मुंह मीठा कराया। जाखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई।
नवजोत सिंह सिद्धू के सिद्धू ने मामले में बरी होने के बाद खुशी जताई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने कहा कि यह परमात्मा की परम कृपा है और लाखों-करोड़ों लोगाें की दुआओं का असर है। सिद्धू ने कहा, मेरा जीवन संघर्षों से भरा रहा है। सात साल की उम्र से संघर्ष कर रहा हूं। कुछ नेताओं ने इस मामले पर भी राजनीति की और इसके लिए मैं उन्हें माफ करता हूं।
भावुक सिद्धू बोले- परमात्मा की परम कृपा अौर लाेगाें की दुआओं का है असर, अब हर सांस पंजाब के लिए
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पत्रकारों से बात करते नवजोत सिंह सिद्धू।
उन्होंने कहा इस अवसर पर वह प्रण करते हैं कि अपना जीवन पंजाब के लिए समर्पित करता हूं। मैंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को कहा है कि मेरा जीवन अापको समर्पित करता हूं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल जी और प्रियंका जी का मैसेज आया तो मैं भावुक हो गया।
कहा- जब शरीर में लहू है राहुल गांधी के साथ खड़ा रहूंगा
सिद्धू ने कहा, 'मेरे शरीर में जब तक लहू है राहुल गांधी के साथ खड़ा रहूंगा। मेरी एक-एक सांस अब पंजाब के लिए है और पंजाब के लिए अपना सब कुछ लगा दूंगा।' उन्होंने कहा कि मैं न्याय व्यवस्था और कानून के प्रति नतमस्तक हूं। कानून सबसे ऊपर है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पत्रकारों से बात करते नवजोत सिंह सिद्धू।
सिद्धू के समर्थकों ने मनाया जश्न, पत्नी और बेटी ने लगाए ठुमके
उधर, अमृतसर में सिद्धू के समर्थकों और परिवार के सदस्यों ने जमकर जश्न मनाया। सिद्धू की पत्नी और बेटी ने नाच-गा रहे समर्थकों के साथ जमकर ठुमके लगाए। सिद्धू के समर्थकों ने मिठाइयां बांटीं और ढ़ोल की थाप पर जमकर नाच किया। सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने कहा कि यह न्याय की जीत है। ईश्वर की कृपा और लोगों की दुआओं से यह खुशी मिली है।
समर्थकों के साथ ठुमके लगातीं नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी और बेटी।
बता दें कि 1988 में पटियाला में कार पार्किंग को लेकर 65 साल के गुरनाम सिंह के साथ सिद्धू का विवाद हो गया था और आरोप था कि इस दौरान हाथापाई तक हो गई थी और बाद में गुरनाम सिंह की अस्पताल में मौत हो गई थी। उनकी मौत क कारण हार्ट अटैक बताया गया था। सेशन कोर्ट ने इस मामले में सिद्धू और उनके साथी को बरी कर दिया।
बाद में हाई कोर्ट ने सिद्धू और उनके साथी को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद अौर एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। सिद्धू ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की और सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद पिछले दिनों इस पर सुनवाई शुरू हुई। लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज इस पर आज फैसला सुनाया।
यह भी पढें: भुल्लर्स ऑल द वे: दादा से पोते तक तीनों रहे एक ही जिले में एसएसपी
पिछली सुनवाइयों में सिद्धू के वकील आरएस चीमा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हाईकोर्ट ने इस मामले में सिद्धू को सजा सुनाने समय साक्ष्यों पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि गैर इरादतन हत्या के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ जो फैसला दिया वह चिकित्सकीय साक्ष्यों पर नहीं था।
जस्टिस जे चेलेमेश्वर व एसके कौल की बेंच के समक्ष उनके वकील आरएस चीमा ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट से जुड़े साक्ष्यों में कई कमियां थीं। दूसरे पक्ष के गवाहों ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अलग-अलग बयान दिए थे। उनका कहना था कि छह विशेषज्ञ चिकित्सकों के पैनल को जिम्मा दिया गया था कि वह मौत के कारण पर अपनी राय दे, लेकिन इनमें से कुछ को गवाही के लिए नहीं बुलाया गया। केवल दो चिकित्सकों की ही गवाही दर्ज की गई।
पंजाब सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा कि इस बात का कोई सुबूत नहीं है कि पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पडऩे से हुई थी, न कि ब्रेन हैमरेज से। सिद्धू को जानबूझकर नहीं फंसाया गया है। राज्य सरकार ने कहा कि निचली अदालत का फैसला रद करने का हाई कोर्ट का आदेश सही है। सिद्धू ने गुरनाम सिंह के सिर पर मुक्का मारा था जिससे ब्रेन हेमरेज में उनकी मौत हुई थी।
यह है पूरा मामला
1988 में सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय गुरनाम सिंह नामक बुजर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया। बाद में ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू को बरी कर दिया।
यह भी पढें: बड़ी राहत: पीजीआइ में खोजा कैंसर के इलाज का नया तरीका
इसके बाद मामला पंजाब एवं हाईकोर्ट में पहुंचा। 2006 में हाई कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू और रुपिंदर सिंह को दोषी करार दिया और तीन साल कैद की सजा सुनाई। उस समय सिद्धू अमृतसर से भाजपा के सांसद थे और उनको लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा था। सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद हुए उपचुनाव में सिद्धू एक बार फिर अमृतसर से सांसद चुने गए।
यह भी पढें: राष्ट्रीय फुटबाल लीग चैंपियन मिनर्वा पंजाब के मालिक पर एक साल का बैन, 10 लाख जुर्माना