झारखंड में दरक रहा महागठबंधन, कांग्रेस एक से हाथ मिलाएगी दूसरे से पंजा लड़ाएगी
लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर देश भर में राजनैतिक गतिविधियां तेज हो चुकी हैं। सबकी निगाहें विपक्षी गठबंधन पर है। झारखंड में महागठबंधन को लेकर सियासी समीकरण बदलने लगा है।
रांची, राज्य ब्यूरो। विपक्षी महागठबंधन में झारखंड मुक्तिओ मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो), राजद और अन्य विपक्षी दल हैं। यह मोर्चा सशक्त् तो लग रहा है, लेकिन अभी से इसमें सेंध लगने लगी है। कोलेबिरा उपचुनाव के बाद कांग्रेस और झामुमो के रिश्ते सामान्य नहीं रहे। इस परिस्थिति में माना जा रहा है कि कांग्रेस, एक मोर्चे (झामुमो) से पंजा लड़ा सकती है और दूसरे मोर्चे (झाविमो) से हाथ मिला सकती है। कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग इस समीकरण का हिमायती भी है। बात तो यह भी कही जा रही है कि इस गठबंधन के साथ आजसू को भी शामिल करने में कोई गुरेज नहीं होगा। लोकसभा चुनाव के अब तीन महीने ही शेष हैं और राज्य में विधानसभा चुनाव की तैयारी इसके बाद से शुरू हो जाएगी।
पुराना संबंध है कांग्रेस व झाविमो का
कांग्रेस और झारखंड विकास मोर्चा के बीच का संबंध पुराना है। दोनों पार्टी एक बार मिलकर चुनाव भी लड़ चुकी है। विशेषज्ञों की मानें तो इस गठबंधन में आजसू को भी कोई परेशानी नहीं होगी। ऐसे भी कोलबिरा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत पर बधाई देकर सुदेश महतो ने संबंधों में सुधार की शुरुआत तो कर ही दी है। दूसरी ओर, कांग्रेस और झाविमो ब्लैकमेल होने से बचना चाहता है। कुछ दिनों पूर्व तक इन दोनों दलों के लिए सीटों का निर्णय एकतरफा झामुमो ही कर रहा था।
पहले साथ रह चुके हैं भाजपा और झामुमो
बदले परिवेश में यह बात भी सार्वजनिक हो रही है कि भाजपा का गठबंधन झामुमो से हो सकता है। पूर्व में भी दोनों पार्टी गठबंधन कर सत्ता हासिल कर चुकी है। उस वक्तज 28-28 महीने सरकार चलाने का निर्णय हुआ था। हालांकि बाद में यह समझौता फेल हो गया। हाल के उपचुनावों में भाजपा को लगातार शिकस्त ही मिली है और इस स्थिति में कुछ विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि कम सीटें होने पर भाजपा के लिए सत्ता का सारथी झामुमो ही बनेगा। जो भी हो, राज्य में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया हैं। पांचवें वर्ष में राज्य सरकार का प्रवेश शुक्रवार से हो रहा है और तीन महीने बाद लोकसभा चुनाव होने की संभावनाओं के कारण राजनीतिक चर्चाएं चरम पर हैं।
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