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सऊदी अरब के लिए भारत से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण नहीं है पाकिस्‍तान, OIC में दिखा दिया आईना

ओआईसी में कश्‍मीर का मुद्दा न उठ पाना भारत के लिए बड़ी जीत और पाकिस्‍तान की बड़ी हार है। इस मुद्दे ने सऊदी अरब और पाकिस्‍तान के बीच खाई को बढ़ाने का काम किया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 02:30 PM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 07:25 AM (IST)
सऊदी अरब के लिए भारत से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण नहीं है पाकिस्‍तान, OIC में दिखा दिया आईना

नई दिल्‍ली। इस्‍लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation) में कश्‍मीर का मुद्दा न उठाने के फैसले से पाकिस्‍तान नाराज है। इस बात को संगठन का हर देश और पूरी दुनिया अच्‍छे से जानती है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है सऊदी अरब। सऊदी अरब के ही फैसले के आगे पाकिस्‍तान को मजबूरन झुकना पड़ा है। यह पाकिस्‍तान की एक हार तो है ही, लेकिन उसकी मजबूरी भी है। मजबूरी इसलिए, क्‍योंकि मौजूदा समय में वह सऊदी अरब को नजरअंदाज या दरकिनार कर आगे नहीं बढ़ सकता है। इसकी एक नहीं कई वजह हैं।

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पाकिस्‍तान के लिए सऊदी अरब की अहमियत 

दैनिक जागरण से इस मुद्दे पर बात करते हुए विदेश मामलों के जानकार कमर आगा का कहना था कि पाकिस्‍तान आर्थिक तौर पर सऊदी अरब के ऊपर निर्भर है। पाकिस्‍तान इस बात से बखूबी वाकिफ है कि सऊदी अरब को दरकिनार कर वह आगे नहीं बढ़ सकता है। आर्थिक तौर पर भी पाकिस्‍तान के लिए सऊदी अरब की काफी अहमियत है। वहीं ,बार-बार कश्‍मीर का मुद्दा उछालने की कोशिश से सऊदी अरब और पाकिस्‍तान के रिश्‍तों पर काफी फर्क भी पड़ा है। उनके मुताबिक, मौजूदा समय में पाकिस्‍तान की स्थिति इस पूरे क्षेत्र और खाड़ी के देशों के बीच वो नहीं रही है जो पहले हुआ करती थी। 

सऊदी के लिए पाकिस्‍तान की अहमियत 

आगा मानते हैं कि सऊदी अरब के लिए भी पाकिस्‍तान की खासा अहमियत है। इसकी वजह वहां की आंंतरिक सुरक्षा है। इस पूरे क्षेत्र की बाहरी सुरक्षा की गारंटी जहां अमेरिका देता है। वहीं, सऊदी की आंतरिक सुरक्षा की जिम्‍मेदारी में पाकिस्‍तान की भूमिका काफी अहम है। इसकी अहमियत को ऐसे भी समझा जा सकता है कि पाकिस्‍तान के पूर्व आर्मी चीफ जनरल राहिल शरीफ वर्तमान में इस्‍लामिक मिलिट्री काउंटर टेररिज्‍म कोएलिशन के कमांडर इन चीफ हैं। इसका हेडक्‍वार्टर रियाद में है। इसके अलावा पाकिस्‍तान के काफी जवान वहां पर मौजूद हैं, जो शाही परिवार की सुरक्षा में बड़ी भूमिका में हैं।  

सऊदी अरब का डेवलपमेंट प्‍लान 

सऊदी अरब और पाकिस्‍तान के बीच संबंधों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कमर आगा का कहना था कि सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्‍मद सलमान ने देश की छवि को बदलने और उसे विकास की राह पर आगे बढ़ाने का जो बीड़ा उठाया है, उसमें कश्‍मीर का मसला कहीं नहीं आता है। क्राउन प्रिंस का पूरा फोकस देश के विकास पर टिका है। इसके अलावा वह दक्षिण एशिया में भारत के बढ़ते कद से भी बखूबी वाकिफ हैं। वह ये भी मानते हैं कि सऊदी अरब को मजबूत करने के लिए भारत न सिर्फ निवेश के लिहाज से अच्‍छा है, बल्कि भारत का बड़ा बाजार सऊदी अरब की अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत करने में काफी सहायक साबित हो सकता है। ऐसे में वह कश्‍मीर के मुद्दे को लाकर भारत से अपने संबंध खराब नहीं करना चाहते हैं। 

पाकिस्‍तान से बढ़ती दूरी 

जहां तक पाकिस्‍तान की बात है तो कमर आगा मानते हैं कि पूर्व में सऊदी अरब जिस तरह से पाकिस्‍तान की आर्थिक मदद करता रहा है वह आगे नहीं कर पाएगा। इसकी वजह है कि अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में जिस तरह से कच्‍चे तेल की कीमतों में गिरावट हो रही है उसकी बदौलत सऊदी अरब के लिए खुद को संभाल पाना काफी मुश्किल है। ऐसे में पाकिस्‍तान को मदद देना संभव नहीं होगा। यही वजह है कि सऊदी अरब अपनी अर्थव्‍यवस्‍था की मजबूती के लिए केवल तेल पर ही निर्भर नहीं रखना चाहता है। वह कई दूसरी चीजों में निवेश कर रहा है। भारत के साथ संबंधों का जिक्र करें तो वहां की मजबूत अर्थव्‍यवस्‍था में भारतीयों का भी अहम रोल रहा है। इसके तेल के मामले में भी ईरान से खरीद खत्‍म करने के बाद सऊदी अरब के बड़े तेल खरीददारों में भारत ही है।इसके अलावा भारत की तरफ से तेल की कीमत भी तय समय में अदा कर दी जाती है। इसकी वजह से भारत की छवि न सिर्फ सऊदी अरब के लिए, बल्कि दूसरे खाड़ी देशों में भी काफी अच्‍छी है। वहींं, पाकिस्‍तान भविष्‍य में भी सऊदी अरब की उम्‍मीदों पर खरा नहीं उतरता है। 

दुनिया के सामने पाकिस्‍तान की छवि 

पूरी दुनिया के सामने पाकिस्‍तान की छवि पूरी तरह से धूमिल हो चुकी है। उसकी केवल एक ही पॉलिसी है जो एंटी इंडिया की है। इसको ही लेकर पाकिस्‍तान हमेशा से आगे बढ़ता रहा है। वहीं इस कोशिश में अब उसका साथ मलेशिया और तुर्की भी दे रहे हैं। इसलिए पाकिस्‍तान का झुकाव अब इन देशों की तरफ कुछ ज्‍यादा दिखाई दे रहा है। ओआईसी से इतर एक नया संगठन खड़ा करने के सवाल पर कमर आगा का कहना था कि इसमें मलेशिया कभी सफल नहीं हो सकेगा। इसकी वजह है कि ओआईसी को खड़ा करने के लिए और उसको इस मुकाम तक लाने में सऊदी अरब ने काफी पैसा खर्च किया है। मलेशिया और पाकिस्‍तान या तुर्की में इतना दम नहीं है कि वह अपने दम पर इस तरह से आगे बढ़ सकेंगे। लिहाजा वह अपनी मुहिम में कभी सफल नहीं हो सकेंगे।  

एक नजर इधर भी

आपको यहां पर ये भी बता दें कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्‍लामिक को-ऑपरेशन में दुनिया के 57 मुस्लिम देश शामिल हैं। इसका मुख्‍यालय भी सऊदी अरब के जेद्दा में स्थित है। इसके गठन का मकसद दुनिया के सभी मुस्लिम देशों के बीच सहयोग बढ़ाना और पूरी दुनिया में शांति और प्‍यार को बढ़ाना था, लेकिन हाल के कुछ वर्षों में पाकिस्‍तान ने इसमें कश्‍मीर मुद्दे और भारत विरोधी मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर उठाने की कोशिश की है। वहीं, दूसरी तरफ ओआईसी के कई सदस्‍य देशों के भारत से काफी अच्‍छे संबंध हैं। इसके अलावा सऊदी और यूएई ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने देश का सर्वोच्‍च सम्‍मान तक प्रदान किया है। 

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