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गरीबी के रिंग में हारा बॉक्सिंग का किंग तो ओलंपियन बॉक्सर मनोज ने बढ़ाया हाथ

गरीबी के रिंग में बॉक्सर मनोज कुमार हार गया जिसने 15 गोल्ड मेडल अपने नाम किए हुए हैं। हालांकि उनके साथ मनोज ने उनकी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है।

By Vikash GaurEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 11:16 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 11:16 AM (IST)
गरीबी के रिंग में हारा बॉक्सिंग का किंग तो ओलंपियन बॉक्सर मनोज ने बढ़ाया हाथ

संगरूर, मनदीप कुमार। संगरूर के राष्ट्रीय बॉक्सर मनोज कुमार की बदहाली को दर्शाती 'गरीबी के रिंग में हारा बॉक्सिंग का किंग' की दैनिक जागरण की खबर के बाद ओलंपियन व अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर मनोज कुमार ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। हरियाणा के कैथल निवासी इस नामी मुक्केबाज मनोज कुमार ने अपने ट्विटर अकाउंट पर स्टोरी शेयर कर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से संगरूर के बॉक्सर मनोज कुमार के लिए नौकरी की अपील की।

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मनोज कुमार ने लिखा, "मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जी, आपके राज्य के इस मुक्केबाज को आपकी खेल नीति के तहत नौकरी देने की कृपा करें, ताकि यह मुक्केबाज भी आप से आशीर्वाद पाकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर सके । आप पहले भी बहुत से जरूरतमंद खिलाडि़यों को नौकरी दे चुके हैं धन्यवाद।"

बॉक्सर मनोज कुमार के इस ट्वीट पर कई अन्य खिलाड़ियों ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए मनोज के लिए नौकरी की मांग की। पटियाला के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पो‌र्ट्स में हरियाणा का मुक्केबाज मनोज कुमार व संगरूर का मुक्केबाज मनोज एक साथ बॉक्सिंग की कोचिंग लेते रहे हैं। इंडियन कैंप में दोनों एक साथ बॉक्सिंग का अभ्यास करते थे। ओलंपियन मनोज कुमार द्वारा मदद के प्रयास किए जाने के बाद मनोज ने कहा कि वह खुश हैं कि उनके मित्र ने उनकी मदद के लिए प्रयास किया। दोनों का एक ही नाम होने के कारण एनआइएस में उनकी अलग ही पहचान होती थी।

एक थैली से दूध पीते रहे हैं दोनों

संगरूर के मनोज ने बताया कि उन्हें आज भी वह दिन याद है कि 2015 में वह एनआइएस में ओलंपियन मनोज कुमार की मौजूदगी में बॉक्सिंग का अभ्यास कर रहे थे। दोनों का अभ्यास खत्म हुआ। वहां वजन की जांच के बाद ही डाइट (खाद्य सामग्री) दी जाती थी। ओलंपियन मनोज कुमार ने अपना वजन चेक करवा लिया था, जबकि वह भूल गए थे।

कोच ने डाइट देने वालों से कहा कि मनोज को डाइट न दी जाए। उन दोनों का नाम एक होने के कारण उनकी बजाय ओलंपियन मनोज को डाइट में दूध की थैली नहीं मिल पाई थी। इसके बाद दोनों ने एक साथ बैठकर अपनी बाकी की डाइट ली व दूध की एक थैली से ही दूध पीया। दौड़ लगाने से लेकर रिंग में अभ्यास के दौरान भी कई बार नाम को लेकर एक की फटकार दूसरे पर पड़ जाती थी। वह ओलंपियन मनोज कुमार से छोटे थे, इसलिए उन्होंने हमेशा उन्हें अपने छोटे भाई की भांति मानते हुए उन्हें बाक्सिंग के गुर सिखाए। 

जागरण में मनोज कुमार पर छपी स्टोरी का लिंक


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