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लीड--- स्मार्ट सिटी में जर्जर सड़कें और कीचड़ के दाग

घोषणा के पांच साल बाद भी राउरकेला स्मार्ट सिटी में विकास की रफ्तार धीमी होने से जर्जर सड़कें और कीचड़ के दाग विभाग नहीं धो पा रहा है। और इसके कारण विभाग की भूमिका पर दाग लग रहे है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 06:59 AM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 06:59 AM (IST)
लीड--- स्मार्ट सिटी में जर्जर सड़कें और कीचड़ के दाग

जासं, राउरकेला : घोषणा के पांच साल बाद भी राउरकेला स्मार्ट सिटी में विकास की रफ्तार धीमी होने से जर्जर सड़कें और कीचड़ के दाग विभाग नहीं धो पा रहा है। और, इसके कारण विभाग की भूमिका पर दाग लग रहे है।

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राउरकेला अब तक केवल नाम मात्र का स्मार्ट सिटी बन कर रह गया है। हनुमान बटिका चौक के रिग रोड की बगल में आई लव राउरकेला सेल्फी प्वाइंट, चमकती रोशनी तथा हनुमान वाटिका से सरना चौक तक महज डेढ़ किलोमीटर तक के सुंदरीकरण तक में ही सीमित है शहर का विकास। जबकि शहर के अंदर की तस्वीर बिल्कुल उलट है। सड़क का काम सालों से पूरा नहीं हुआ है। बारिश में सड़क पर कीचड़मय हो जाती है। सूखने पर धूल उड़ती है। लेकिन स्मार्ट सिटी विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि काम जोर शोर से चल रहा है। समीक्षा बैठक कब होगी यह कोई नहीं जानता। हालांकि केंद्र और राज्य दोनों ने स्मार्टसिटी की विभिन्न परियोजनाओं के लिए समान धन मुहैया कराया है, लेकिन स्थानीय विधायक और सांसद कभी इन कामों के अग्रगति को लेकर मुंह खोलते नजर नहीं आते है। जबकि स्मार्ट सिटी के अधिकारी और कंसल्टेंसी के कर्मचारी जिन पर लाखों रुपये का भुगतान किया जा रहा है, वे इसका फायदा उठा रहे हैं। वेतन पर अब तक 3 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। केवल किराए के कार में घूमने के लिए महीने में लगभग 2 लाख रुपये खर्च किए जा रहे है। हालांकि, परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ पा रही है।

अधिकारी शहरवासियों को केवल सपने के बाद सपने दिखा रहे हैं। लेकिन कुछ खास काम नहीं होता। जितने प्रोजेक्ट पूरे हुए हैं उनमें भ्रष्टाचार की बू आ रही है। उदाहरण के तौर पर स्मार्टसिटी पार्क को लिया जा सकता हैं। छह पार्कों के सुंदरीकरण पर 6.5 करोड़ रुपये खर्च होने की बात दर्शायी गई है। हालांकि, राउरकेला नगर निगम (आरएमसी) पहले ही इन पार्कों के सुंदरीकरण पर काम कर चुकी थी। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि बाद में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के जरिए इन पार्कों में क्या काम किया गया। हैरानी की बात यह है कि मांगे जाने के बावजूद विभाग द्वारा इसका ब्योरा नहीं दिया जा रहा है। मामले को छुपाने की इस कोशिश ने भ्रष्टाचार की आशंका को और बढ़ा दी है। सिविल टाउनशिप में रोटरी-1 व 2 और एडीएम कार्यालयों के सामने कुल 2.63 करोड़ रुपये, आरएमसी के सामने नेताजी सुभाष बोस पार्क में 2.57 करोड़ रुपये, सिविल टाउनशिप मधुसूदन पार्क में 65 लाख रुपये और संजीवनी पार्क में 65 लाख रुपये खर्च करने की बात कही जा रही है। लेकिन जो काम होने के दावे किए जा रहे है, वैसा कोई खास बदलाव नहीं दिख रहा है। दो साल से नहीं आया पैसा

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि स्मार्ट सिटी से चलने वाले कई-कई प्रोजेक्ट अभी तक खत्म नहीं हुए है। यह कब खत्म होंगे यह भी जानकारी विभागीय अधिकारियों के पास नहीं है। कार्य नहीं होने के कारण निवेश पत्र (यूसी) जारी नहीं किया जा सका। नतीजतन, स्मार्ट सिटी फंड को 2018-19 और 2019-20 में कोई पैसा नहीं मिला। दूसरी ओर इसके पूर्व तीन सालों में स्वीकृत राशि का 50 प्रतिशत राशि भी अभी तक खर्च नहीं की जा सकी है। कुछ परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, तो कई परियोजनाएं अब तक शुरू भी नहीं हो पाई है। इनमें से 49 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत से पानपोष एनएसी मार्केट निर्माणाधीन है। जबकि पुराने बाजार को तोड़े हुए एक साल होने को हैं। लेकिन उसके बाद से सिर्फ 10 प्रतिशत ही काम ही हुआ है।

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कब-कब कितने पैसे मंजूर हुए

2015-16 : 2 करोड़ रुपये

2016-17 : 150 करोड़ रुपये

2017-18 : 224 करोड़

188 करोड़ रुपये इन तीन सालों में राज्य सरकार ने दिए

188 करोड़ रुपये इन तीन सालों में केंद्र सरकार से मिले

136.3 करोड़ रुपये तीन बैंकों में जमा हैं।

92.21 करोड़ रुपये मिल रहा है जिसका ब्याज ।

228.51 करोड़ खर्च नहीं हुए हैं जो बैंक में पड़े हैं।

5 पांच साल पूर्व घोषणा हुई थी राज्य की दूसरी स्मार्ट सिटी की


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