उन्हें हर पल रहता है पुरानी घडिय़ों का इंतजार
फैशन के इस युग में भले ही लोग उनका मजाक उड़ाते हों पर उनमें जज्बा व आत्मविश्वास कूट कूट कर भरा है।
राउरकेला, जागरण संवाददाता। कहते हैं कि अगर हाथ में हुनर हो तो आदमी कभी भूखे नहीं मर सकता। लेकिन समय के साथ उसके खुद को बदलने की भी कला आनी चाहिए। आज समय बदलने के साथ लोगों शौक भी बदल गया है। इसके बावजूद आज भी कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने वर्षों पुराने पेशे को नहीं छोड़ पाए और उसी के सहारे अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं।
ऐसे ही लोगों में शामिल हैं गोपबंधुपाली निवासी 67 वर्षीय कृष्णा साहू। वे आज भी चाबी से चलने वाली टेबुल घडिय़ों की मरम्मत कर आपना जीवनयापन कर रहे हैं। उन्हें रोज मेन पोस्ट आफिस के पास बैठकर पुरानी घडिय़ां लेकर आने वालों का इंतजार रहता है। फैशन के इस युग में भले ही लोग उनका मजाक उड़ाते हों पर उनमें जज्बा व आत्मविश्वास कूट कूट कर भरा है। तभी तो वे कहते हैं कि बुढ़ापे में भी आदमी को कुछ न कुछ करते रहना चाहिए।
युवा अवस्था में कृष्णा सुनार की दुकान में काम करते थे। इसके बाद गांधी रोड में घड़ी साज की दुकान खोली। 1977-78 में दुकान हटा दिए जाने से रोजी रोटी चलाना मुश्किल हो गया। इसके बाद 27 साल से मेन पोस्ट आफिस के पास चौक पर घड़ी मरम्मत का सामान लेकर बैठते हैं। पूछने पर कृष्णा बताते हैं कि छह बेटे व दो बेटियों का भरा पूरा परिवार होने के बावजूद खुद का खर्च उठाने के लिए हर दिन सुबह नौ से दोपहर दो बजे तक यहां बैठता हूं। अब टेबुल घडिय़ां बहुत कम आती हैं पर पुराने शौकीन लोग अब भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
टेबुल घड़ी के साथ साथ अन्य घडिय़ों का छोटामोटा काम कर महीने में दो तीन हजार रुपये कमा लेते हैं। साथ ही वृद्धा पेंशन से हर महीने मिलने वाले तीन सौ रुपये के चलते किसी के सामने हाथ फैलाना नहीं पड़ता। जब तक हाथ पांव चल रहा है तब काम करते रहेंगे। यही जीविका का सहारा है।
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