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चहक उठे खेत, 15 साल बाद खिले सरसों के फूल

पानी नहीं आने से किसान सरसों की जगह सिर्फ धान की खेती तक ही सिमट गए थे।धान कटने के बाद खेत खाली पड़े रहते थे।

By BabitaEdited By: Published: Thu, 25 Jan 2018 03:37 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jan 2018 03:37 PM (IST)
चहक उठे खेत, 15 साल बाद खिले सरसों के फूल
चहक उठे खेत, 15 साल बाद खिले सरसों के फूल

राउरकेला, जासं। बणई अनुमंडल के लहुणीपाड़ा ब्लाक में पंद्रह साल बाद पुन: खेतों में मदमस्त सरसों के फूल झूम रहे हैं। खेत चहक रहे हैं और किसान खुशी के गीत गा रहे हैं। 15 साल पहले भी यह क्षेत्र सरसों की खेती के लिए मशहूर था। लेकिन पानी की कमी के कारण लोग धीरे-धीरे इसकी खेती करना बंद कर दिए थे।

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दरअसल, केबलांग थाना के बिमलागढ़ पहाड़ी नाले पर बने बांध से बिमलागढ़ से सहाजबहाल गांव तक नहर बनाया गया है लेकिन इसमें पानी नहीं आने से किसान सरसों की जगह सिर्फ धान की खेती तक ही सिमट गए थे। धान कटने के बाद खेत खाली पड़े रहते थे। कचूपाड़ा व गौतमडीह इलाके के किसानों ने सामूहिक रूप से उप जिलापाल स्वाधादेव सिंह का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया। उपजिलापाल ने लघु सिंचाई विभाग से संपर्क कर इस समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया।

लघु सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता और कनीय अभियंता ने जेसीबी की मदद से नहर की सफाई करने के साथ-साथ इसकी मरम्मत भी की। नहर में गांव तक पानी आने से ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे। सेवाभावी संगठन आत्मा के अध्यक्ष देवानंद महंतो से परामर्श कर दोनों गांवों के किसानों ने सरसों की खेती करने का निर्णय लिया। लहुणीपाड़ा कृषि विभाग की ओर से नवंबर में मिनीटेक योजना में हर किसान को दो किलो सरसों बीज मुफ्त में मुहैया कराया गया। कचुपाड़ा व गौतमडीह गांव के सैकड़ों किसानों ने सरसों की खेती में दिलचस्पी दिखाई। और देखते ही देखते खेतों में सरसों की फसल लहलहाने लगी।

हालांकि बांध में पानी कम होने से सरसों की फसल नष्ट होने की आशंका भी बेचैन करने लगी है। किसान रूषी महंतो, राजू पात्र, उद्धव महंतो, पुरुषोत्तम महंतो, प्रधान मुंडा, सत्यानंद महंतो, बासु मुंडा, तीर्थ महंतो, वनमाली महंतो और लदुरा मुंडा ने कृषि विभाग को पत्र लिखाकर इस समस्या को दूर करने की मांग की है। कृषि विभाग ने भी इसे गंभीरता से लिया है। समाधान खोज रहा है।

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