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मगरमच्छ के जबड़े से बहन को बचाने वाली ममता को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार

वर्ष 2017 के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले बच्चों की सूची में ममता का नाम भी शामिल है।

By BabitaEdited By: Published: Mon, 22 Jan 2018 02:57 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jan 2018 02:57 PM (IST)
मगरमच्छ के जबड़े से बहन को बचाने वाली ममता को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार
मगरमच्छ के जबड़े से बहन को बचाने वाली ममता को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार

नई दिल्ली, जेएनएन। उम्र छोटी और कद भी छोटा, लेकिन हिम्मत इतनी कि उसकी बहादुरी का किस्सा सुनकर कोई भी दांतों तले अंगुली दबा ले। ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले की रहने वाली सात वर्षीय ममता दलाई लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। जिस जगह भी ममता को सम्मान देने के लिए बुलाया जा रहा है, उसको देखकर लोग आश्चर्य चकित हो उठते हैं।

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उसकी बहादुरी का किस्सा सुनने के लिए ममता के इर्द-गिर्द लोग इकट़ठे हो जाते हैं। जी हां, वर्ष 2017 के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले बच्चों की सूची में ममता का नाम भी शामिल है। इस पुरस्कार के लिए चयनित बच्चों में वह सबसे छोटी है। वीरता का यह पुरस्कार ममता को मगरमच्छ के चंगुल से अपनी बड़ी बहन की जान बचाने के लिए दिया जाएगा। भले ही दूसरी कक्षा में पढऩे वाली ममता को ठीक से हिंदी बोलनी नहीं आती, लेकिन वह हिंदी ठीक से समझती है और थोड़ा-बहुत जवाब भी दे देती है। वह बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहती है।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में पूछने पर उसने कहा कि टीवी पर उन्हें कई बार देखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जनवरी को ममता समेत देश भर से आए 18 बहादुर बच्चे बच्चियों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। ये सभी बच्चे दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में भी शामिल होंगे। ममता उस मगरमच्छ वाली घटना के बारे में बताते हुए कहती है कि उसने मगरमच्छ के मुंह से अपनी बहन का हाथ खींचकर उसे मार भगाया। वह शाम को घर से कुछ दूरी पर शौच के लिए गई थी। अचानक दलदल वाली जगह पर मगरमच्छ आ गया और उसने मेरे साथ गई मेरी बहन के हाथ को अपने मुंह में जकड़ लिया और खींचने लगा। ममता ने बताया कि मैंने भी उसके हाथ को कसकर पकड़े रखा और जोर-जोर से चिल्लाने लगी।

बहन के हाथ से खून बहते देख एक बार डर लगने लगा कि कहीं मगरमच्छ उसे खींचकर न ले जाए, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार मगरमच्छ को हाथ छोड़कर उस जगह से वापस जाना पड़ा। उस दौरान मदद के लिए भी कोई नहीं था। 

पिता को अपनी बेटी की बहादुरी पर गर्व

ममता के पिता निर्मल दलाई कहते है कि उन्हें इस बात का गर्व है कि उनके परिवार में ऐसी बहादुर बेटी भी है, जो मगरमच्छ के सामने होने पर भी उससे नहीं डरी। उन्होंने कहा कि जब इस घटना केबारे सुना तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि मगरमच्छ से लड़कर उसने मेरे बड़े भाई की बेटी की जान बचा ली। उन्होंने बताया कि ममता बचपन से ही निडर है।

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