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यहां पथरीली राहों में सिमटी हैं गर्भवती महिलाओं की चीखें, बीच सफर हो रहा है बच्‍चों का जन्‍म, जानें मामला

ओडिशा का कंधमाल जिले के कई गांवों में बेहतर सड़कें नहीं हैं। ऐसे में गांव तक एम्‍बुलेंस की सेवा की पहुंच नहीं है। ऐसे में जब गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा होती है तो ग्रामीणों को चारपाई टोकरी जैसी चीजों पर महिला को लादकर सफर तय करना पड़ता है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenPublished: Thu, 02 Feb 2023 10:47 AM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2023 10:47 AM (IST)
यहां पथरीली राहों में सिमटी हैं गर्भवती महिलाओं की चीखें, बीच सफर हो रहा है बच्‍चों का जन्‍म, जानें मामला
ओडिशा के कंधमाल जिले के अधिकतर गांवों में नहीं बेहतर सड़कें

शेषनाथ राय, भुवनेश्वर। ओडिशा का कंधमाल जिला आज भी विकास से कोसों दूर है। आज भी कंधमाल जिले के आधे दूरदराज के इलाकों में गाड़ी से जाना तो दूर पैदल चलने तक के रास्ते नहीं हैं। रिकॉर्ड बताते हैं कि जिले के 600 गांवों में अच्छी सड़कें नहीं हैं। जिले के कई गांव पहाड़ी की चोटी पर हैं, जहां पहुंचना असंभव है। सड़क ना होने से गर्भवती महिलाओं को चारपाई या पालकी के जरिए अस्पताल लाना पड़ता है। ऐसे में समय से अस्पताल ना पहुंच पाने के कारण अकसर गर्भवती महिलाएं सड़क पर ही बच्चे को जन्म दे देती हैं और कई बार गर्भवती महिला की मौत हो जाती है।

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सड़क नहीं होने की वजह से गांव में एम्‍बुलेंस की नहीं पहुंच

सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकती। कंधमाल जिले में पिछले एक साल में करीब 30 महिलाओं को अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही प्रसव कराना पड़ा। जिले के 12 ब्लाकों की 171 पंचायतों में से लगभग 600 छोटे-बड़े गांवों में सड़कों की पहुंच नहीं है। खजूरीपारा प्रखंड की सुदरुकुम्पा पंचायत के ददमास्का गांव के विजय कहार की पत्नी सस्मिता कहार ने पिछले साल अपने गर्भ का दर्द सहन नहीं कर पाने के कारण सड़क पर ही बच्‍चे को जन्‍म दे दिया था। इस दौरान परिजनों ने एंबुलेंस को फोन किया। लेकिन सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस रास्ते में ही फंस गई। नतीजतन, ग्रामीण गर्भवती महिला को चारपाई पर लगभग 2 किमी तक ले गए। गर्भ का दर्द असहनीय हो गया और रास्ते में ही उसकी डिलीवरी हो गई।

रास्‍ते में ही हो रही है बच्‍चों की डिलीवरी

इसी तरह की एक घटना कोटगढ़ ब्लॉक के गुगुरुमाहा पंचायत के गरदमहा गांव से सामने आई है। गांव की एक गर्भवती महिला मिकी रूप माझी को प्रसव पीड़ा के कारण चारपाई पर लादकर अस्‍पताल के रास्‍ते ले जाया गया। गर्भवती महिला को करीब तीन पहाड़ियां पार कर मैदानी इलाकों में पहुंचना था। एम्बुलेंस पहले से ही वहां इंतजार कर रही थी। हालांकि, महिला ने इतनी दूरी पार करने से पहले ही रास्ते में बच्‍चे को जन्‍म दे दिया। बात सिर्फ इन दो घटनाओं की नहीं है, बल्कि ऐसे कई मामले हैं।

गर्भवती महिलाओं को असहनीय दर्द का करना पड़ रहा सामना

इसी तरह चकपाड़ा प्रखंड के ब्राह्मणीपाड़ा क्षेत्र में भी ऐसा ही जननी दर्द देखने को मिला। ग्रामीण गर्भवती महिला को चारपाई पर लादकर पड़ोसी गंजाम जिले के एक अस्पताल ले गए। दरिंगबाड़ी ब्लॉक के अंतर्गत भ्रमरबाड़ी पंचायत के लाडंगी गांव की गर्भवती महिला बनिता प्रधान को प्रसव पीड़ा हुई और परिवार वालों ने 108 नंबर पर संपर्क किया। हालांकि, गांव तक सड़क नहीं होने के कारण एम्बुलेंस को गांव से दो किलोमीटर दूर ही रोक दिया गया। जब परिवार उसे चारपाई पर ले जा रहे थे, तो उसने भी रास्‍ते में ही बच्‍चे का जन्‍म दे दिया।

बेहतर सड़क की सुविधा से वंचित ग्रामीण

कोटगढ़ प्रखंड के दुर्गापंगा, सुबरनगिरी, तुमुडीबांधा प्रखंड के लंकागढ़, झिरीपानी, सुमरबांध, पाहिराजू, सदिंगिया, बालंदापारा, खजूरीपारा प्रखंड बिलाबाड़ी, दरिंगबाड़ी प्रखंड ब्रह्माणीगांव और गदापुर की दूरस्थ पंचायतों में आज भी अच्छी सड़कें नहीं हैं। वर्तमान में सरकार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और लोक निर्माण विभाग के तहत ग्रामीण विकास विभाग के तहत विभिन्न सड़कों का निर्माण करा रही है। हालांकि, वे समुद्र में शंख की तरह दिखते हैं।

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