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Jagannath Temple: ओडिशा के कानून मंत्री बोले, पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने बेच दी महाप्रभु की 40 एकड़ जमीन

Odisha News कोरोना काल में पिछले दो साल में ओडिशा में भगवान श्रीजगन्नाथ की 40 एकड़ 799 डिसमिल जमीन बेची जा चुकी है। हालांकि प्रशासन ने महाप्रभु की इस संपत्ति को किस कारण से बेचा है इस बारे में राज्य के कानून मंत्री जगन्नाथ सारका ने कोई जानकारी नहीं दी।

By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraSun, 27 Nov 2022 05:30 PM (IST)
Jagannath Temple: ओडिशा के कानून मंत्री बोले, पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने बेच दी महाप्रभु की 40 एकड़ जमीन
ओडिशा के कानून मंत्री बोले, पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने बेच दी महाप्रभु की 40 एकड़ जमीन। फाइल फोटो

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। Odisha News: कोरोना काल में पिछले दो साल में ओडिशा में भगवान श्रीजगन्नाथ की 40 एकड़ 799 डिसमिल जमीन बेची जा चुकी है। राज्य के कानून मंत्री जगन्नाथ सारका ने कहा कि महाप्रभु के पास जहां कुल 60426 एकड़ 943 डिसमिल जमीन है, वहीं श्रीमंदिर के प्रशासनिक कार्यालय में केवल 38 हजार 062 एकड़ जमीन के मालिकाना के कागजात हैं।

कानून मंत्री ने विधानसभा में दी जानकारी

विधानसभा में अध्यक्ष कुसुम टेटे के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कानून मंत्री सारका ने कहा कि राज्य के भीतर भगवान की संपत्ति से पिछले वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 के दौरान कुल 40 एकड़ 799 डिसमिल जमीन बेची गई है। प्रशासन ने महाप्रभु की इस संपत्ति को किस कारण से बेचा है, इस बारे में मंत्री ने कोई जानकारी नहीं दी है। गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के नाम पर रहने वाली भूसंपत्ति के विभिन्न स्रोत से 55 करोड़ 80 लाख 84 हजार 859 रुपये की आय हुई है।

मंदिर प्रबंधन के पास है इतना मालिकाना हक

राज्य के कुल 24 जिलों में डेटा एकत्र किया गया कि पिछले रिकार्ड के आधार पर 60.427 एकड़ भूमि श्रीजगन्नाथ महाप्रभु पुरी के नाम पर है, लेकिन श्रीमंदिर प्रबंधन के पास अभी भी 22 हजार 365 एकड़ जमीन की संशोधित मालिकाना हक नहीं है। मंत्री सरका ने कहा कि देश के अन्य छह राज्यों में श्रीजगन्नाथ महाप्रभु के नाम पर 395 एकड़ 252 डिसमिल जमीन होने का तथ्य संग्रह किया गया है। पुरी श्रीजगन्नाथ मंदिर में उपलब्ध महाप्रसाद के मूल्य नियंत्रण को लेकर अध्ययन किया जा रहा है।

पुरी जगन्नाथ मंदिर में आई दरार की जांच करने पहुंची एएसआइ टीम

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुख्यालय की एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ कमेटी ने रविवार को पुरी जगन्नाथ मंदिर में जाकर नाट्यमंडप और जगमोहन की स्थिति का अध्ययन किया है। टीम अनुध्यान करने के बाद नाट्य मंडप और जगमोहन में आने वाली दरार के लिए स्थायी समाधान निकालेगी। विशेषज्ञ टीम के दौरे को देखते हुए मंदिर मे अंदर व बहार पहले से ही जांच करने की व्यवस्था की गई थी। नाड्य मंडप के गरुड़ स्तंभ के पार्श्व, कलम तथा छत को संयोग करने वाली बीम में जून, 2018 से दरार आ गई है। इस दरार को पुरी जगन्नाथ मंदिर के रखरखाव में लगी कोर कमेटी ने देखा था।

मरम्मत कार्य शीघ्र होगा पूरा

उस दिन के बाद से दरार ठीक हुई या नहीं दरार को कैसे ठीक किया जाएगा, उस पर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया था। हालांकि, उस जगह पर क्राक मीटर लगा दिया गया था, ताकि यह पता चल सके कि जो दरार आई है वह स्थिर या और बढ़ रही है। यह क्राक मीट आनलाइन डाटा संग्रह करता है, ऐसे में इस क्राक मीटर की जांच की जाएगी। हालांकि वर्तमान समय तक इस क्राक मीटर के जरिए बीम दरार की स्थिति क्या है, उसके बारे में पता नहीं चल सका है। अब जबकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मुख्यालय की विशेषज्ञ टीम यहां पहुंची है तो माना जा रहा है कि उक्त दरार के संदर्भ में सटीक जानकारी मिलेगी और मरम्मत कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा।

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