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श्रीमंदिर में भक्तों के दर्शन पर रोक लगने के बाद हुई ये अप्रिय घटना, देखने के लिए उमड़ी भीड़

अोडिशा के श्रीमंदिर में भक्‍तों के आवागमन पर रोक लगाने के कुछ ही घंटों बाद मंदिर के ध्‍वज में आग लग गयी जिसे देखने के लिए वहां भीड़ उमड़ पड़ी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 20 Mar 2020 12:29 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 12:29 PM (IST)
श्रीमंदिर में भक्तों के दर्शन पर रोक लगने के बाद हुई ये अप्रिय घटना, देखने के लिए उमड़ी भीड़
श्रीमंदिर में भक्तों के दर्शन पर रोक लगने के बाद हुई ये अप्रिय घटना, देखने के लिए उमड़ी भीड़

भुवनेश्वर, जेएनएन। श्रीमंदिर में भक्तों के दर्शन पर रोक लगाए जाने के कुछ ही घंटे बाद श्रीमंदिर में एक बड़ी घटना हुई है। महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर के ऊपरी हिस्से में लगाए जाने वाला ध्वज गुरुवार को अचानक जल उठने से श्रीमंदिर परिसर में हड़कंप मच गया। इस घटना के बाद से ही महाप्रभु के भक्तों के मन को गहरा आघात लगा है। जलते हुए ध्वज को देखने को भीड़ उमड़ पड़ी। 

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कैसे हुई घटना 

जानकारी के मुताबिक गुरुवार को पाप नाशक एकादशी के उपलक्ष्य में श्रीमंदिर के अंवला परिसर में महादीप लगाया गया था। अचानक हवा चलने से अचानक तेज हवा चलने से ध्वज उड़कर महादीप पर चला आया और देखते ही जल गया। इससे कुछ समय के लिए आतंक सा माहौल बन गया था। 15 मिनट तक इसे लेकर श्रीमंदिर परिसर में उत्तेजनापूर्ण स्थिति बन गई थी। इसके बाद श्रीमंदिर प्रशासन ने चुनरा सेवकों को वहां भेजा और फिर स्थिति सामान्य हुई।

हर दिन बदला जाता है ध्‍वज

श्रीमंदिर का ध्वज हर दिन शाम चार से पांच बजे के बीच बदला जाता है। एक सेवायत ऊपर जाकर ध्वज बदलता है। यह पवित्र दृश्य देखने को लोग उमड़ पड़ते हैं। सेवायत के हाथ में एक जलता हुआ दीपक भी होता है। जगन्नाथ भक्त इसे महाप्रभु की मानवीय लीला बता रहे हैं। वहीं श्रीमंदिर चुनरा सेवक निजोग के अध्यक्ष कृष्ण चन्द्र महापात्र ने खंडन किया है। उन्होंने कहा है कि महादीप की लौ इधर उधर जा रही थी, इसी बीच ध्वज और लौ का संपर्क हो जाने से यह अघटन हुई है। यहां उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले यानी बुधवार को महाप्रभु के ध्वज में गांठ पड़ गई थी। अब एक दिन बाद ध्वज जल गई है, जिसे लेकर भक्त तरह तरह की चर्चा कर रहे हैं। 

ध्वज से जुड़ी रहस्यमय बात 

 इस ध्वज से जुड़ी एक रहस्यमय बात यह भी है कि यह हवा के विपरीत दिशा में उड़ता है। जिस दिशा में हवा चलती उसकी उलटी दिशा में ये झंडा लहराता है। यह झंडा 20 फीट का तिकोने आकार का होता है जिसे बदलने का जिम्मा एक चोला परिवार पर है। ये जानकर आपको हैरानी होगी कि ये परम्परा 800 सालों से चली आ रही है। कहा जा रहा है कि अगर झंडा रोज़ ना बदला जाए तो मंदिर 18 सालों के लिए अपने आप बंद हो जाएगा।

मंदिर का सुदर्शन चक्र

आप देख सकते हैं मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है जो दूर से ही दिखाई देता है। इस चक्र की खास बात ये है कि इसे जहां से भी देखो वो आपको अपनी ओर ही दिखाई देगा। इस मंदिर के झंडे को बदलने के लिए एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर जंजीरों के सहारे चढ़ता है। उससे पहले वह नीचे अग्नि जलाता है और धीरे.धीरे मंदिर के गुंबद तक पहुंच कर पुराने ध्वज को हटाकर नए ध्वज को लगा देता है। चाहे जैसा भी मौसम हो इस झंडे को बदलने का रिवाज है जिसे रोज बदलना होता है।

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