मृत घोषित बच्ची 10 घंटे अलमारी में रखी, दफनाते समय चलने लगी सांस
शिमला के एक अस्पताल में नवजात बच्ची को मृत घोषित कर अलमारी में बंद कर दिया लेकिन दफनाने के लिए ले जाते समय उसकी सांस चल रही थी।
शिमला, जेएनएन। राजधानी शिमला के कमला नेहरू अस्पताल (Kamla Nehru Hospital, Shimla ) में अमानवीय व्यवहार दर्शाने वाला मामला सामने आया है। ड्यूटी पर तैनात स्टाफ ने नवजात शिशु को मृत घोषित कर स्वजनों को शोक में डुबो दिया। स्टाफ ने स्वजनों को बच्ची को दफनाने के लिए कहा। बच्ची को जब दफनाने के लिए ले जाया जा रहा था तो उसकी सांस चल रही थी। स्वजनों ने अस्पताल में हंगामा किया। इस घटनाक्रम से अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगा है।
कुल्लू के मौहल निवासी पूर्ण चंद ने कहा कि तीन दिन पहले वह गर्भवती बेटी का चेकअप करवाने के लिए भुंतर ले गए थे। चिकित्सकीय दिक्कत आने के कारण उसे भुंतर अस्पताल से नेरचौक ले गए। नेरचौक से उसे 18 मार्च को केएनएच रेफर किया गया। केएनएच पहुंचने पर 19 मार्च सुबह तीन बजे स्वजनों को
बताया गया कि मृत बेटी पैदा हुई है। स्वजनों से हस्ताक्षर करवा बच्ची को अलमारी में बंद कर दिया। दोपहर एक बजे स्टाफ ने बच्ची को दफनाने के लिए सौंपा तो सांस ले रही थी। यह बात पता चलते ही स्टाफ ने बच्ची को वेंटीलेटर में रख दिया। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन ने बच्ची की जान के साथ खिलवाड़ किया है।
बैठ कर बात सुलझा लो
अस्पताल प्रशासन के समक्ष मामला उठने के बाद प्रशासन स्वजनों को शांत रहने के लिए कहकर उन्हें बैठकर बात सुलझाने पर दबाव डालता रहा। स्वजनों ने कहा कि प्रदेश में यह एकमात्र महिला अस्पताल है। दूरदराज के इलाकों से महिलाएं बहुत भरोसा रखते हुए यहां प्रसव व अन्य बीमारियों का इलाज करवाने पहुंचती हैं। ऐसे में अगर नवजातों की जान के साथ खेल खेला जा रहा है हो तो अस्पताल बंद कर देना चाहिए।
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जांच के लिए बनाई कमेटी
अस्पताल एमएस डॉ. अंबिका चौहान ने कहा कि मामला उनके ध्यान में है। मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। इस मामले में रिपोर्ट तलब की गई है।
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