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वन नेशन वन इलेक्शन पर BJP को मिला एक और पार्टी का साथ, केंद्र की कमेटी को BJD का समर्थन

केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में वन नेशन-वन इलेक्शन पर एक समिति बनाई है। इस पर केंद्र सरकार को एक और पार्टी का साथ मिला है। वन नेशन-वन इलेक्शन पर बीजद ने कहा है कि इसे लेकर वह चिंतित नहीं है। बीजद के वरिष्ठ विधायक बद्रीनारायण पात्रा ने कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन पर उनकी पार्टी अपना समर्थन देगी।

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Fri, 01 Sep 2023 04:28 PM (IST)Updated: Fri, 01 Sep 2023 05:00 PM (IST)
बीजद ने कहा कि वह वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर चिंतित नहीं है।

भुवनेश्वर, पीटीआई। केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर एक समिति बनाई है। इस पर केंद्र सरकार को एक और पार्टी का साथ मिला है। वन नेशन-वन इलेक्शन पर बीजद ने कहा है कि इसे लेकर वह चिंतित नहीं है।

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वन नेशन वन इलेक्शन को बीजद का समर्थन

पूर्व मंत्री और बीजद के वरिष्ठ विधायक बद्रीनारायण पात्रा ने शुक्रवार को कहा कि अगर लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो पार्टी उस कानून को अपना समर्थन देगी। उन्होंने कहा कि बीजद वन नेशन वन इलेक्शन के साथ जाएगी और इसे लेकर कोई चिंता नहीं है।

बद्रीनारायण पात्रा ने कहा

जब भी एक साथ चुनाव होंगे, तो बीजद को इसकी चिंता नहीं है। हमारे मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हमेशा कहते रहे हैं कि ओडिशा में बीजद किसी भी अन्य राजनीतिक दल की तुलना में बेहतर है और चुनाव में जाने के लिए अच्छी तरह से तैयार है।

ओडिशा में एक साथ होते लोकसभा व विधानसभा चुनाव

बता दें कि कुछ राज्यों में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए थे, ऐसे में वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था लागू होने से वहां फिर से चुनाव हो सकते हैं, जिससे कुछ पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। बीजद विधायक पात्रा ने कहा कि इस व्यवस्था से कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि ओडिशा में 2004 से लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते आ रहे हैं।

कांग्रेस विधायक का पीएम पर तंज

इस पर कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्रा ने कहा कि एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी अपनी लोकप्रियता खो रहे हैं। इससे भाजपा डर गई है और ऐसी व्यवस्था ला रही है।

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर मानना है कि इससे सरकारी खजाने की बचत होगी। साथ ही बार-बार चुनाव कराने में जुटे प्रशासनिक अधिकारी को राहत मिलेगी। वहीं, मशीनरी के उपयोग कम होंगे।


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