भारत में 2016 में गौरक्षकों की हिंसा में वृद्धि : अमेरिकी रिपोर्ट
इवांजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया (ईएफआइ) के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में 177 की तुलना में 2016 में ईसाइयों पर हमले की 300 घटनाएं हुई हैं।
वाशिंगटन, प्रेट्र। भारत में 2016 में अधिकांश रूप से मुस्लिमों के खिलाफ गौरक्षकों की हिंसा में वृद्धि हुई है। यही नहीं ऐसे मामलों में प्रशासन गौरक्षकों के खिलाफ मुकदमा चलाने में विफल रहा है। ये बातें अमेरिकी विदेश विभाग की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी की रिपोर्ट में कही गई हैं।
ट्रंप प्रशासन के तहत इस पहली रिपोर्ट को अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने जारी किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने चिंता जाहिर की कि भाजपा सरकार के तहत धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय असुरक्षित महसूस करता है। हिंदू राष्ट्रवादी गुट गैर हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ हिंसा में शामिल रहते हैं। अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि धर्म प्रेरित हत्याएं, हमलों, दंगों और भेदभाव की खबरें आई हैं। गौरक्षकों द्वारा मुसलमानों की हत्या, उन पर हमले और उन्हें धमकाने की घटनाएं बढ़ी हैं।
इवांजेलिकल फेलोशिप ऑफ इंडिया (ईएफआइ) के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में 177 की तुलना में 2016 में ईसाइयों पर हमले की 300 घटनाएं हुई हैं। धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय का कहना है कि केंद्र सरकार कभी-कभी हिंसा की घटनाओं के खिलाफ बोलती है लेकिन स्थानीय राजनेता ऐसा नहीं करते। इससे पीडि़त और अल्पसंख्यक समुदाय असुरक्षित महसूस करता है।
रिपोर्ट में तीन तलाक का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को चुनौती देने का केंद्र सरकार ने समर्थन किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के महोबा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि धर्म के आधार पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा। मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। मुस्लिम धार्मिक नेताओं ने इसे अपने धार्मिक मामलों में सरकार का हस्तक्षेप बताया है।
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