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US ने खड़ी की पाक के लिए मुश्किलें, वित्तीय मदद दिए जाने पर लगाईं शर्तें

651 अरब डॉलर वाले नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (एनडीएए) 2018 में सभी तीन विधायी संशोधनों को कांग्रेस के निचली सदन ने कल ध्वनिमत से पारित कर दिया।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Sat, 15 Jul 2017 03:26 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jul 2017 07:36 PM (IST)
US ने खड़ी की पाक के लिए मुश्किलें, वित्तीय मदद दिए जाने पर लगाईं शर्तें
US ने खड़ी की पाक के लिए मुश्किलें, वित्तीय मदद दिए जाने पर लगाईं शर्तें

वॉशिंगटन, पीटीआई। अमेरिका की प्रतिनिधि सभा ने पाकिस्तान को रक्षा वित्त उपलब्ध कराए जाने की शर्तों को और कड़ा बनाने के लिए तीन विधायी संशोधनों पर वोट किया है। इसमें यह शर्त रखी गई है कि वित्तीय मदद दिए जाने से पहले पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में संतोषजनक प्रगति दिखानी होगी। ये शर्तें आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन से संबंधित है जिसे लेकर पहले भी कई शीर्ष अमेरिकी अधिकारी और सांसद लगातार चिंता जताते रहे हैं।

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651 अरब डॉलर वाले नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट (एनडीएए) 2018 में सभी तीन विधायी संशोधनों को कांग्रेस के निचली सदन ने कल ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन ने 81 के मुकाबले 344 मतों से इसे पारित कर दिया। सदन में पारित इस विधेयक से रक्षा मंत्री को पाकिस्तान को वित्त पोषण दिए जाने से पहले यह प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान ग्राउंड्स लाइंस ऑफ कम्यूनिकेशन (जीएलओसी) पर सुरक्षा बनाए रख रहा है। जीएलओसी सैन्य इकाइयों को आपूर्ति मार्ग से जोड़ना वाला और सैन्य साजो-सामान के परिवहन का रास्ता है।

रक्षा मंत्री को यह भी प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क को उत्तर वजीरिस्तान को पनाहगाह बनाने से रोकने की प्रतिबद्धता दिखा रहा है और पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर हक्कानी नेटवर्क समेत आतंकवादियों की गतिविधियों पर लगाम लगाने में अफगानिस्तान सरकार के साथ सक्रिय तौर पर सहयोग कर रहा है। तीन में से दो संशोधन कांग्रेस सदस्य डाना रोहराबेकर और एक संशोधन टेड पोए ने पेश किया।

सदन द्वारा पारित पो के एक संशोधन में इस बात का प्रस्ताव रखा गया है कि जब तक रक्षा मंत्री यह पुष्टि ना कर सकें कि पाकिस्तान अमेरिका द्वारा घोषित किसी भी आतंकवादी को सैन्य, वित्तीय मदद या साजोसामान उपलब्ध नहीं करा रहा तब तक पाकिस्तान को दिए जाने वाली वित्तीय मदद रोक कर रखी जाए।

रोहराबेकर के एक संशोधन में कहा गया है कि शकील अफ्रीदी एक अंतरराष्ट्रीय हीरो है और पाकिस्तान सरकार को इसे तुरंत जेल से रिहा कर देना चाहिए। अफ्रीदी ने एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन की मौजूदगी का पता लगाने में अमेरिका की मदद की थी।

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