मोसुल में 900 आतंकी ढेर
इराक के मोसुल से इस्लामिक स्टेट (आइएस) को खदेड़ने के अभियान में सेना अब तक करीब नौ सौ आतंकियों को ढेर कर चुकी है। संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
बगदाद, रायटर/एएफपी : इराक के मोसुल से इस्लामिक स्टेट (आइएस) को खदेड़ने के अभियान में सेना अब तक करीब नौ सौ आतंकियों को ढेर कर चुकी है। संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सेना का अभियान 17 अक्टूबर को शुरू हुआ था। अपने गढ़ को बचाने के लिए आइएस भी हर तरीके का इस्तेमाल कर रहा है।
वह मोसुल की 15 लाख की आबादी को ढाल की तरह इस्तेमाल करने के साथ ही आत्मघाती हमलावरों को गठबंधन फौजों के बीच भेज रहा है। सड़क के किनारे की झाड़ी से निकलकर कुर्द लड़ाकों के बीच आए एक आत्मघाती हमलावर ने पांच लड़ाकों को मार डाला।
आइएस की साजिश आत्मघाती हमलों से बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने की है। सीरिया में भी रक्का पर कब्जे की लड़ाई शुरू हो गई है। मोसुल पर कब्जे के लिए छिड़ी जंग अब निर्णायक दौर में पहुंच गई है। इराक की सरकारी सेना ने कुर्द लड़ाकों के साथ मिलकर आसपास के 30 गांवों पर कब्जा कर लिया है।
अमेरिकी लड़ाकू विमान उनका रास्ता साफ कर रहे हैं। लेकिन फादीलिया में उनका सामना आइएस के आत्मघाती दस्ते से हुआ। हाथों में मशीनगन लिए आत्मघाती हमलावर अल्ला-हो-अकबर के नारे लगाते हुए गठबंधन फौज के बीच आ गए। उनकी कोशिश ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाते हुए जान देने की थी।
ये हमलावर मोटरसाइकिल, कार, एसयूवी वाहनों पर थे। इराकी सेना में सैनिक याह्या के अनुसार पहले ही दिन हमारा सामना दस आत्मघाती हमलावरों से हुआ, जो चारों दिशाओं से आए थे। अब गली-गली में लड़ाई हो रही है, एक-एक घर पर कब्जे की जंग है।
आतंकी और आत्मघाती ज्यादातर 18-20 साल के युवा हैं। इनमें बड़ी संख्या में विदेशी लड़ाके हैं, जो चेचन्या और अन्य देशों से आए हैं। मोसुल के चार किलोमीटर नजदीक तक पहुंच चुके कुर्द लड़ाके अब बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्हें थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। जगह-जगह बारूदी सुरंग बिछाई गई हैं।
बारूदी सुरंगों और बमों को हटाने के लिए सेना के इंजीनियरों और बम विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। मोसुल के नजदीकी इलाकों में आइएस ने सुरंगों का जाल भी बना रखा है। सुरंगों के भीतर से भी आइएस आतंकी गठबंधन फौजों पर हमले कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इराक में 2003 से जारी ¨हसा में यह सबसे मुश्किल दौर है।
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