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आसियान सम्मेलन में भी हिंदी में बोले मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को हिंदी में संबोधित करते हुए कहा कि इसका हिस्सा बनना उनके लिए खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि भारत-आसियान संबंधों में किसी तरह की कटुता नहीं है। इसलिए हमारे लिए सहयोग की संभावनाएं अपार हैं। आसियान देशों को मिलकर नई

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Thu, 13 Nov 2014 04:10 AM (IST)Updated: Thu, 13 Nov 2014 06:52 AM (IST)

नेपी तॉ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को हिंदी में संबोधित करते हुए कहा कि इसका हिस्सा बनना उनके लिए खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि भारत-आसियान संबंधों में किसी तरह की कटुता नहीं है। इसलिए हमारे लिए सहयोग की संभावनाएं अपार हैं। आसियान देशों को मिलकर नई ऊंचाइयों को छूना है। इससे पहले दुनिया के सबसे बड़े मंच संयुक्त राष्ट्र संघ में भी मोदी ने हिंदी में ही संबोधित किया था।

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म्यांमार की राजधानी में दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संघ (आसियान) के नेताओं के साथ बैठक में मोदी ने कहा, 'आसियान में शामिल देश तेजी से आगे बढ़ते भारत के बड़े सहयोगी हो सकते हैं। कारोबार, धर्म, संस्कृति, कला और परंपरा के लिहाज से हमारे संबंध बहुत प्राचीन हैं। हमने लगातार इस ओर काम करके इन्हें और मजबूत बनाया है। इसी नींव पर हमें मजबूत संबंधों की इमारत खड़ी करनी है।'

भारत की 'लुक ईस्ट' नीति के 'एक्ट ईस्ट' नीति बन जाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने आसियान नेताओं को आश्वस्त किया कि वह इस क्षेत्रीय संगठन के देशों के साथ भारत के संबंधों पर लगातार निजी रूप से ध्यान देंगे। मोदी ने कहा, 'हमने मात्र छह महीने के कार्यकाल में पूर्वी देशों के लिए नीति स्पष्ट कर दी है। भारत एक नई यात्रा पर निकल चुका है। इस नए माहौल में हम आपको आमंत्रित करते हैं। क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए भारत-आसियान संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं।'

यह हैं आसियान देश

ब्र नेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम।

दक्षिणी चीन सागर पर भारत की बीजिंग को नसीहत

नेपी तॉ। दक्षिण चीन सागर पर आधिपत्य को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने नाम लिए बिना चीन को नसीहत भी दी। मोदी ने कहा कि सभी देशों को समुद्री मसलों पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन ठीक उसी तरह करना चाहिए, जैसे हम हवाई नियमों का करते हैं। हालांकि, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया मगर उनके निशाने पर चीन था। चीन का जापान, वियतनाम और फिलीपींस के साथ समुद्री सीमा पर विवाद चल रहा है।

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