कश्मीरी पंडितों के पलायन पर ब्रिटिश संसद में प्रस्ताव
25 साल पहले जम्मू-कश्मीर से पलायन करने को मजबूर हुए कश्मीरी पंडितों से संवेदना जताने के लिए ब्रिटेन की संसद में पहली बार प्रस्ताव लाया गया। हाउस ऑफ कॉमंस के पटल पर रखे गए अर्ली डे मोशन (ईडीएम) में जनवरी 1990 में सीमा पार से आए इस्लामी कट्टरपंथियों के हमले
लंदन। 25 साल पहले जम्मू-कश्मीर से पलायन करने को मजबूर हुए कश्मीरी पंडितों से संवेदना जताने के लिए ब्रिटेन की संसद में पहली बार प्रस्ताव लाया गया। हाउस ऑफ कॉमंस के पटल पर रखे गए अर्ली डे मोशन (ईडीएम) में जनवरी 1990 में सीमा पार से आए इस्लामी कट्टरपंथियों के हमले के शिकार बने लोगों के परिवारों और दोस्तों के प्रति सहानुभूति जताई गई है।
ब्रिटिश हिंदुओं की सर्वदलीय संसदीय समूह की ओर से लाए गए ईडीएम को सांसद बॉब ब्लैकमेन ने पेश किया और अन्य चार सांसदों ने इसका समर्थन किया। इसमें कश्मीरी पंडितों के पूजा स्थलों को अपवित्र किए जाने की घटना की निंदा करते हुए उन्हें अब तक न्याय नहीं मिलने पर चिंता भी जताई गई है।
गौरतलब है कि किसी घटना पर सदन का ध्यान खींचने के लिए ब्रिटिश सांसद हाउस ऑफ कॉमंस में ईडीएम लाते हैं। हालांकि ऐसे ईडीएम काफी कम ही होते हैं, जिन पर सदन में बहस होती है। इस सप्ताह की शुरुआत में भी हाउस ऑफ कॉमंस में पंडितों का दर्द बांटने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
कश्मीरी पंडित कल्चरल सोसायटी ने एक बयान में ईडीएम को ऐतिहासिक बताया है। पलायन के 25 साल पूरे होने पर सोसायटी की ओर से रविवार को लंदन में एक मार्च का भी आयोजन किया गया है।