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दस माह के बाद आखिर जीत ही ली इतनी बड़ी जंग, लेकिन खोना पड़ा है काफी कुछ

इराक को मोसुल में दस माह से चली भीषण जंग में काफी कुछ खोना पड़ा है। लेकिन आखिरकार यहां पर सेना ने ISIS के खिलाफ जीत हासिल कर ली है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 30 Jun 2017 04:48 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jul 2017 10:14 AM (IST)
दस माह के बाद आखिर जीत ही ली इतनी बड़ी जंग, लेकिन खोना पड़ा है काफी कुछ

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। इराक ने गठबंधन सेनाओं की मदद से आखिरकार देश के प्रमुख शहर मोसुल से आतंकी संगठन आईएसआईएस को खदेड़कर इस पर कब्‍जा कर लिया है। इराक में बगदाद के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा शहर है। पिछले वर्ष अक्‍टूबर में इराक के राष्‍ट्रपति ने मोसुल में आखिरी फतह पाने के लिए आईएस के खिलाफ जंग छेड़ने का एलान किया था। तब से लेकर आज तक इराकी सेना लगातार मोर्चे पर फतह हासिल कर रही थी। वर्ष 2014 में आईएस ने मोसुल पर कब्‍जा किया था। उस वक्‍त यहां की आबादी करीब 25 लाख थी, जो आज अनुमानित तौर पर महज दस लाख रह गई है। इराकी सेना के लिए उस वक्‍त यह सबसे बड़ी हार थी। इतना ही नहीं आंतकी संगठन आईएस ने यहां पर कब्‍जे के तुरंत बाद मोसुल को अपनी राजधानी भी घोषित किया था। इसके अलावा आईएस ने रक्‍का को भी अपनी राजधानी बनाया था। करीब दस माह चली इस भीषण जंग में मोसुल को काफी बर्बादी झेलनी पड़ी है।

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सबसे बड़ी मस्जिद अल-नूरी भी हुई तबाह

पिछले सप्‍ताह ही मोसुल की सबसे महत्‍वपूर्ण मानी जाने वाली मस्जिद अल-नूरी को तबाह कर दिया गया था।  12वीं शताब्‍दी की यह मस्जिद इराक की करेंसी पर भी मौजूद है। करीब 850 साल पुरानी इस मस्जिद पर इराकी फौज के कब्‍जे के बाद प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी ने एक बयान जारी कर इस शहर को आईएस से मुक्‍त करने की घोषणा की है। अपने बयान में अबादी ने कहा कि अल-नूरी मस्जिद और अल-हदबा मीनार पर इराकी फौज के कब्जे के साथ ही देश में आतंकी साम्राज्य का अंत हो गया है।

ब्रिग्रेडियर ने कहा- आईएस का गढ़ ढहा

इराकी सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल याह्या रसूल ने भी सरकारी टीवी चैनल पर इस जीत की जानकारी दी है। इसके निकटवर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों को कुछ दिन पहले सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया था। सेना ने एक बयान में बताया कि सीटीएस ने मस्जिद क्षेत्र और उसके पड़ोसी क्षेत्रों अल हादबा और सरझखना को अपने कब्जे में ले लिया हैं। सेना और पुलिस की अन्य सरकारी इकाइयां अन्य दिशाओं से इन इलाकों की ओर बढ़ रही हैं।

आतंकी साम्राज्‍य का अंत

इस लड़ाई में सीरिया समेत इराक ने अपने शहरों की बेशकीमती इमारतों को खो दिया है। इसके अलावा इस लड़ाई में हजारों लोगों ने अपनी जिंदगी गंवाई है। सीरिया का पालमीरा, मोसुल की पुरानी मोनेस्‍ट्री और टिंबकटू की मस्जिद भी इस लड़ाई की भेंट चढ़ गई है। आईएस के कब्जे से पहले मोसुल की सांस्कृतिक विरासत काफी मजबूत थी। इस जीत के मायने इसलिए भी बड़े हैं क्‍योंकि इस्लामिक स्टेट ने तीन साल पहले यहीं से इराक और सीरिया में अपने कब्जे वाले इलाकों पर खलीफा के शासन की घोषणा की थी।

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मोसुल और रक्‍का थे आईएस की राजधानी

आईएस ने सीरिया के शहर रक्का के अलावा माेसुल को भी अपनी संयुक्त राजधानी बनाया था। इतने वर्षों तक चली लड़ाई के बाद मोसुल समेत रक्‍का की भी हालत काफी खराब है। मौजूदा दौर में आईएस के जिस तरह से पांव उखड़ रहे हैं, उस हिसाब से उसकी 60 फीसदी ताकत कम हो गई है। वहीं उसकी आमदनी में भी करीब 80 फीसद तक की कमी आई है। रक्‍का में अमेरिका के समर्थन वाली कुर्दिश सेना ने आईएस को चारों तरफ से घेर रखा है। फिलहाल उनके भाग निकलने की भी उम्‍मीद कम है, क्‍योंकि बाहर निकलने के सभी रास्‍ते बंद हैं।

कितनी अहम है मोसुल की जीत

मोसुल की भौगोलिक स्थिति भी उसे काफी अहम बनाती है। सीरिया और तुर्की की सीमा के पास बसा यह शहर कारोबार और व्यापार के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इराक के कुछ सबसे बड़े तेल के कुएं मोसुल के पास ही स्थित हैं। इतना ही नहीं, तुर्की की ओर जाने वाली एक तेल पाइपलाइन भी मोसुल के पास है। आईएस को मोसुल से खदेड़ने का असर यह भी होगा कि सीरिया और तुर्की में उनकी सक्रियता कम होगी। तेल के कुएं हाथ से निकलने पर उनकी फंडिंग का एक बेहद खास जरिया भी बंद हो जाएगा। मोसुल पर आईएस का नियंत्रण खत्म होने के बाद हथियारों की सप्लाइ, रसद और बाकी सामानों की खेप पाने के उनके रास्ते भी बेहद तंग हो जाएंगे।

यहीं से हुई थी खिलाफत की घोषणा

इराक के सुन्नी बहुल इलाके में कब्जा जमाने के बाद आईएस ने अपनी खिलाफत की घोषणा की थी। उसके बाद मोसुल की नूरी मस्जिद में बगदादी आया था और मुस्लिमों को पहला धर्मोपदेश दिया था। सार्वजनिक रूप से बगदादी उसी समय आखिरी बार देखा गया था। उसके बाद से पता नहीं लग पाया है कि वह कहां और किस हाल में है। इसी मस्जिद में आईएस नेता अबू बकर अल बगदादी 2014 में पहली बार लोगों के सामने पेश हुआ था और अपनी खिलाफत की घोषणा की थी।

अल-नूरी के साथ हब्‍दा भी हुई ढेर

पिछले दिनों ही आईएस ने नूरी मस्जिद के साथ अल हब्दा मस्जिद को भी विस्‍फोटक से उड़ा दिया था। यह नूरी मस्जिद के सामने स्थित थी और मोसुल की लोकप्रिय इमारतों में से एक थी। किसी समय इस मीनार को इराक का टावर ऑफ पीसा कहा जाता था। हब्दा के निर्माण का कार्य 1172 में पूरा हुआ था। मीनार अपने अद्भुत आकार के लिए शहर की प्रतीक सी बन गई थी और लगभग हर स्थानीय दुकानों के चिह्नों और विज्ञापनों में यह नजर आती थी। कई रेस्त्रां, कंपनियां और स्पोर्ट्स क्लब इसके नाम पर चल रहे हैं। 


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