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भारत-अमेरिका की दोस्ती से चिढ़ा चीन, विनाशकारी परिणाम भुगतने की धमकी

भारत अपनी गुटनिरपेक्ष नीति को त्यागते हुए चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका का 'मोहरा' बन रहा है। इससे दक्षिण एशिया में नई दुविधा की स्थिति पैदा हो जाएगी।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Tue, 27 Jun 2017 06:00 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jun 2017 07:23 AM (IST)
भारत-अमेरिका की दोस्ती से चिढ़ा चीन, विनाशकारी परिणाम भुगतने की धमकी
भारत-अमेरिका की दोस्ती से चिढ़ा चीन, विनाशकारी परिणाम भुगतने की धमकी

बीजिंग, पीटीआई। पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सोमवार को वॉशिंगटन में गर्मजोशी के साथ हुई मुलाकात से चीन विफर गया है। भारत-अमेरिका की दोस्ती चीन के गले नहीं उतर रही है। चीन की सरकारी मीडिया ने कहा है कि अमेरिका से मिलकर चीन के मुकाबले खड़े होने की भारत की कोशिश उसके हित में नहीं है। चीन ने साथ ही इसके 'विनाशकारी परिणाम' की धमकी भी दी है।

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सरकारी समाचारपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' में छपे लेख के अनुसार चीन के बढ़ते प्रभाव से अमेरिका और भारत चिंतित हैं। हाल के दिनों में चीन के प्रभाव को रोकने के लिए वॉशिंगटन ने भारत के साथ अपने संबंध में सुधार किया है। गौरतलब है कि ट्रंप के सत्ता में आने के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली बार मुलाकात हुई है।

भारत जापान और ऑस्ट्रेलिया की तरह अमेरिका का करीबी सहयोगी नहीं है। इसके साथ ही चीन के खिलाफ मोर्चा बनाना भारत के लिए हित में नहीं है। इसका 'विनाशकारी परिणाम' हो सकता है।'

लेख में कहा गया है कि भारत अपनी गुटनिरपेक्ष नीति को त्यागते हुए चीन का मुकाबला करने के लिए अमेरिका का 'मोहरा' बन रहा है। इससे दक्षिण एशिया में नई दुविधा की स्थिति पैदा हो जाएगी।

गौरतलब है कि मोदी और ट्रंप की वाइट हाउस में मुलाकात में सीमा से जुड़े विवाद और समुद्री विवाद को शांतिपूर्वक आपसी बातचीत और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हल करने की अपील की गई थी।

बता दें कि साउथ चाइना सी में चीन लगातार अपना दावा करता रहा है वहीं भारत के साथ उसका सीमा विवाद है। सोमवार को मोदी और ट्रंप के बीच हुई बैठक के बाद संयुक्त बयान में दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए थे कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए अमेरिका और भारत साझेदारी को और मजबूत करेंगे।

चीनी समाचारपत्र आगे लिखते हुए कहता है कि पूर्व सोवियत संघ और केनेडी के राष्ट्रपति के दौर में अमेरिका ने भारत को चीन के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की लेकिन नतीजा संतोषजनक नहीं रहा। भारत चीन के मुकाबले खड़ा नहीं हो सकता है और पहले यह साबित हो चुका है।

आगे कहा गया है कि अमेरिका के जाल में फंसने और चीन के उदय से घबराने से ज्यादा अच्छा है कि भारत चीन के साथ आपसी रिश्ते मजबूत करे। यह दोनों देशों की सुरक्षा और विकास के लिए ज्यादा जरूरी है।

यह भी पढ़ें: क्यों अमेरिकी मीडिया ने कहा- चीन को चिढ़ाने के लिए मोदी-ट्रंप में दिखी गर्मजोशी


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