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क्यों अमेरिकी मीडिया ने कहा- चीन को चिढ़ाने के लिए मोदी-ट्रंप में दिखी गर्मजोशी

डोनाल्ड ट्रंप और नरेन्द्र मोदी की यह दोस्ती दरअसल चीन को चिढ़ाने के लिए थी।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 27 Jun 2017 05:27 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 07:28 PM (IST)
क्यों अमेरिकी मीडिया ने कहा- चीन को चिढ़ाने के लिए मोदी-ट्रंप में दिखी गर्मजोशी
क्यों अमेरिकी मीडिया ने कहा- चीन को चिढ़ाने के लिए मोदी-ट्रंप में दिखी गर्मजोशी

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वाशिंगटन दौरे और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से उनके लिए दिखाई गई गर्मजोशी जहां पूरी दुनिया के लिए सुर्खियां बनी तो वहीं अमेरिकी मीडिया ने इसका वाजिब कारण भी बताया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप और मोदी की यह दोस्ती दरअसल चीन को चिढ़ाने के लिए थी।

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ट्रंप ने मोदी को बताया सच्चा दोस्त

ट्रंप ने जहां भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई और टैक्स रेट घटाने को लेकर उन्हें अपना सच्चा दोस्ता बताया तो दूसरी तरफ लोगों तक सीधे पहुंचने के लिए ट्विटर और फेसबुक का सहारा भी लिया। अखबार ने व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया है कि मोदी और ट्रंप के बीच गर्मजोशी का मक़सद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को चिढ़ाना था। अमेरिका की काफी कोशिशों के बावजूद चीन ने हाल के हफ्तों में नॉर्थ कोरिया के ऊपर कोई दबाव नहीं बनाया। जबकि, नॉर्थ कोरिया का परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम रोकना अमेरिका की प्राथमिकताओं में से एक रहा है।

मोदी ने ट्रंप को बताया सफल नेता

हालांकि, ट्रंप ने इस बात का उल्लेख किया कि नॉर्थ कोरिया पर प्रतिबंध में अमेरिका को भारत ने मदद की थी। ट्रंप ने कहा कि नॉर्थ कोरिया के चलते आज बड़ी समस्या खड़ी हो गई है और इससे शीघ्रता से निपटना पड़ेगा। हालांकि, इसके बाद मोदी ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए सफल और बड़ा नेता करार दिया जिनके पास व्यवसाय का व्यापक अनुभव है। मोदी ने उम्मीद जताई कि ट्रंप के इस अनुभव से भारत-अमेरिका के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, उन्होने ट्रंप की बेटी इवांका को भी भारत में उद्यमियों के कॉन्फ्रेंस के लिए न्यौता दे दिया।

भारत के मन में था संशय

अखबार ने आगे लिखा है कि पिछले दो दशक से लगातार भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती बढ़ रही थी लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत में एक संशय बना था क्योंकि अपने पूर्ववर्तियों की तरह ट्रंप ने व्यापार और सुरक्षा सहयोग को लेकर एशियाई देशों के साथ कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। लेकिन, क्षेत्र के अन्य देशों की तरह भारत ने भी ट्रंप के कदमों पर कड़ी नजर रखी। ट्रंप के व्यापार और आव्रजन नीतियां खासकर भारतीय टेक्नॉलोजी वर्कर्स के वीजा को लेकर जो रूख था उससे भारत में काफी निराशा थी। इसके अलावा, पेरिस जलवायु संधि से ट्रंप के हटने के फैसले ने और चिंता बढ़ाकर रख दी थी।

चीन है दोनों देशों की चिंता

इस वक़्त अमेरिका और भारत दोनों की चिंता चीन की समुद्री क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाएं है। मोदी के अमेरिका दौरे से पहले ही ट्रंप प्रशासन ने भारत को दिए जानेवाले 22 सर्विलांस ड्रोन पर मुहर लगा दी। इसका इस्तेमाल कर भारत हिंद महासागर में चीन की नौसेना पर नज़र रख पाएगा। इसके साथ ही ट्रंप ने हिंद महासागर में बड़ा संयुक्त नौसैन्य अभ्यास करने की बात कही जिसमें जापान, भारत और अमेरिका के लड़ाकू जहाज शामिल होंगे।


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