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पृथ्वी के लिए बड़े खतरे का संकेत; 2015 सबसे गर्म, 2016 और जलेगा

यह साल रिकार्ड स्तर पर अब तक का सबसे गर्म साल रहा है। लेकिन अब अगला साल 2016 अलनीनो के मौसम पैटर्न के चलते इससे भी अधिक गर्म होने वाला है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) का कहना है कि 2015 में पृथ्वी की सतह का औसत तापमान

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 05:34 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 09:27 AM (IST)

जेनेवा । यह साल रिकार्ड स्तर पर अब तक का सबसे गर्म साल रहा है। लेकिन अब अगला साल 2016 अलनीनो के मौसम पैटर्न के चलते इससे भी अधिक गर्म होने वाला है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) का कहना है कि 2015 में पृथ्वी की सतह का औसत तापमान उस हद तक चला गया है जिसे सांकेतिक और मुख्य रूप से 19वीं सदी के मध्य से 1.0 डिग्री सेल्सियस अधिक बताया जा रहा है।

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संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम संगठन के प्रमुख माइकल जेराड ने बुधवार को कहा कि हमारी पृथ्वी के लिए बुरी खबर है। मौजूदा साल 2015 अब तक का रिकार्ड गर्म साल रहने वाला है। विशेष रूप से महासागरों की सतह का तापमान मापे गए तापमान के अब तक के इतिहास का सबसे अधिक होगा। डब्लूएमओ का कहना है कि इस साल के पहले दस महीनों के आंकड़े बताते हैं कि जमीन और समुद्र का तापमान इस साल मापे गए अब तक के तापमान से आगे चला जाएगा। देखने वाली बात यह है कि 2014 का तापमान भी अब तक का रिकार्ड था।

डब्लूएमओ के मुताबिक इस साल विश्व की सतह का तापमान 0.73 रहा है तो कि 1961-1990 के 14 डिग्री औसत से अधिक है।

संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था अमूमन यह आंकड़े साल पूरा होने के बाद ही जारी करती है। लेकिन पेरिस में होने वाले संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सम्मेलन के नवंबर के अंत में होने के चलते उसने पहले ही अपने संभावित आंकड़े जारी कर दिए ताकि सम्मेलन के वार्ताकार ताजा और गंभीर हालात पर गौर कर सकें। सोमवार को पेरिस में होने वाले संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण पर्वितन सम्मेलन में 145 देशों से अधिक के नेता शामिल होंगे। 12 दिवसीय इस सम्मेलन का मकसद एक ऐसे समझौते पर पहुंचना होगा जिससे ग्लोबल वार्मिग को विश्व स्तर पर दो डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने पर ही रोक दिया जाए।

डब्लूएमओ के प्रमुख माइकल जेराड ने कहा कि पर्यावरण को बदलने वाली ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित किया जा सकता है। हमारे पास ऐसा करने का ज्ञान भी है और उसके तरीके भी पता हैं। हमारे पास यह विकल्प है लेकिन भावी पीढ़ियों के पास यह विकल्प भी नहीं होगा।

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अलनीनो का कारण महासागर जल की सतह का अत्यधिक गर्म होना है। इस साल के पहले छह महीने में समुद्र जल का तापमान 1993 में सैटेलाइट से मिलने वाली जानकारी के समय से अब तक का सबसे अधिक तापमान है। पूरे विश्व में इस साल चीन जनवरी से अक्टूबर के बीच सर्वाधिक गर्म रहा है। अफ्रीका दूसरा सबसे अधिक गर्म क्षेत्र रहा है। भारत और पाकिस्तान के साथ गर्म वायु के प्रचंड लपटें यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य-पूर्व में भी रही हैं।
एजेंसी का कहना है कि चूंकि महासागर 90 फीसद गर्मी को सोख रहे हैं इसलिए विश्व की मौसम प्रणाली में भी भारी बदलाव आया है। इसका कारण है इंसानों का ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करना। ग्लोबल वार्मिग इस कदर खतरनाक रूप ले रही है कि महासागरों की सतह के साथ ही उनकी गहराई में भी पानी गर्म होता जा रहा है। 2015 के शुरूआती 9 महीनों में विश्व में महासागर का तापमान सतह से 700 मीटर की गहराई और 2000 मीटर की गहराई में रिकार्ड स्तर पर पाया गया।

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