पाकिस्तान में आत्मघाती हमले में जज समेत 11 की मौत
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थानीय अदालत के परिसर में सोमवार को आत्मघाती हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी की और ग्रेनेड फेंका। इस हमले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रफाकत अहमद खान समेत 11 लोगों की मौत हो गई। जबकि 25 लोग घायल हो गए। इनमें पांच लोगों की हालत गंभीर है।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थानीय अदालत के परिसर में सोमवार को आत्मघाती हमलावरों ने अंधाधुंध गोलीबारी की और ग्रेनेड फेंका। इस हमले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रफाकत अहमद खान समेत 11 लोगों की मौत हो गई। जबकि 25 लोग घायल हो गए। इनमें पांच लोगों की हालत गंभीर है।
यह हमला गृहमंत्री चौधरी निसार अली खान द्वारा इस्लामाबाद को सुरक्षित शहर बताए जाने के एक दिन बाद हुआ है। वहीं सरकार के साथ शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए एक महीने संघर्ष विराम की घोषणा करने वाले आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान [टीटीपी] ने हमले के तत्काल बाद इससे दूरी बना ली।
यह हमला एफ-8 क्षेत्र में हुआ। पुलिस महानिरीक्षक सिकंदर हयात ने कहा कि जब दो हमलावरों को ललकारा गया तो उन्होंने विस्फोट करके खुद को उड़ा लिया। जबकि दो हमलावर पुलिस की जवाबी कार्रवाई में मारे गए। यह आत्मघाती हमला था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक दो नौजवान अदालत के परिसर में घुस आए और दो ग्रेनेड फेंके। उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी की। यह गोलीबारी करीब 15 मिनट तक चली। लंबे अर्से बाद इस्लामाबाद में हमला हुआ है। दो दिन पहले संघर्ष विराम की घोषणा करने वाले टीटीपी के प्रवक्ता शाहिदुल्ला शाहिद ने कहा कि उनका संगठन इस हमले में शामिल नहीं था।
इस बीच मुख्य न्यायाधीश तसादुक हुसैन जिलानी ने हमले का संज्ञान लिया है। जिलानी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ हमले के संबंध में मामले की सुनवाई मंगलवार को करेगी। सुनवाई के दौरान इस्लामाबाद के मुख्य आयुक्त, पुलिस प्रमुख के साथ गृह सचिव भी पेश होंगे। संघीय राजधानी को पाकिस्तान के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक माना जाता है। यहां पर सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी है। हालांकि सोमवार को हुए हमले ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। देशभर में बार काउंसिल ने हमले की निंदा करने के लिए सोमवार को एक दिन की हड़ताल की।
अहरारुल हिंद ने ली हमले की जिम्मेदारी
इस्लामाबाद। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से अलग हुए अहरारुल हिंद नाम के कम जाने-माने गुट ने सोमवार को अदालत परिसर में हुए हमले की जिम्मेदारी ली है। अहरारुल हिंद प्रवक्ता असद मंसूर ने दावा किया कि अदालत को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि देश में लागू व्यवस्था गैर-इस्लामी है, जिसमें अदालतें और प्रशासन शामिल है। प्रवक्ता ने कहा कि जब तक पाकिस्तान में शरिया कानून लागू नहीं कर दिया जाता, तब तक इन संस्थानों को निशाना बनाना जारी रहेगा। डॉन न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि हाल ही में खबरों में आए अहरारुल हिंद ने शांति वार्ता शुरू करने पर पाकिस्तान सरकार और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान दोनों की आलोचना की है।