जर्मनी की जनता के हाथों में हिटलर की आत्मकथा
नाजी तानाशाह हिटलर की मौत के बाद पहली बार उनकी आत्मकथा मेन कैम्फ जर्मनी के बाजार में आ गई है। विवाद और तनाव के बावजूद पहले दिन पाठकों के बीच इस किताब को लेकर उत्साहजनक प्रतिक्रिया देखने को मिली।
म्युनिख। नाजी तानाशाह हिटलर की मौत के बाद पहली बार उनकी आत्मकथा मेन कैम्फ शुक्रवार को जर्मनी के बाजार में आई। विवाद और तनाव के बावजूद पहले दिन पाठकों के बीच इस किताब को लेकर उत्साहजनक प्रतिक्रिया देखने को मिली।
कुछ लोगों का कहना है कि यह किताब घोर नस्ली भेदभाव पर आधारित है, जबकि कुछ मानते हैं कि यह शिक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है। हिटलर ने 1924 से 1926 के बीच यह किताब लिखी थी। द्वितीय द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति पर इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस किताब का 70 वर्ष का कॉपीराइट बीते महीने समाप्त हो गया था।
म्यूनिख के सामयिक इतिहास संस्थान ने फिलहाल इस किताब की चार हजार प्रतियां छापी हैं। इसके नए सिरे से महत्वपूर्ण विवरणों व 3500 टिप्पणियों को शामिल किया गया है। संस्थान के विद्वानों ने करीब तीन साल की मेहनत के बाद 2000 पन्नों की इस किताब को नए सिरे से तैयार किया है। 1945 तक इस किताब की एक करोड़ 20 लाख प्रतियां बिक गई और 18 भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया।