Operation Lotus: आखिर क्या है ऑपरेशन लोटस, जिसे AAP के समय शीतल अंगुराल ने उठाया; डेढ़ साल बाद भी जांच एजेंसी के हाथ खाली
ऑपरेशन लोटस मामले में पंजाब की राजनीति में हलचल मचाने वाले मामले में अभी तक जांच एजेंसियों के हाथ खाली हैं। पंजाब में आप की सरकार बनने के लगभग पांच महीने के बाद 13 सितंबर 2022 को वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने आरोप लगाया कि भाजपा आप सरकार को गिराना चाहती है। उस समय शीतल अंगुराल ने अपने बयान दर्ज कराए थे जो अब बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
रोहित कुमार, चंडीगढ़। पंजाब की राजनीति में भूचाल लाने वाले ऑपरेशन लोटस मामले की जांच अगर जांच एजेंसियों ने बेहतर तरीके से की होती तो आज साजिशकर्ता सलाखों के पीछे होते। अब इस मामले में मुख्य शिकायतकर्ता आम आदमी पार्टी के शीतल अगुंराल भाजपा में शामिल हो गए।
करीब डेढ़ साल पहले ऑपरेशन लोटस मामले में आम आदमी पार्टी के दो विधायकों जांलधर पश्चिमी हलके के विधायक शीतल अंगुराल और जालंधर केंद्रीय हलके के विधायक रमन अरोड़ा ने बयान दर्ज करवाए थे। मोहाली थाने में केस दर्ज होने के बाद इस मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी गई थी। लेकिन विजिलेंस डेढ़ साल बाद भी कोई ऐसा तथ्य सामने नहीं आया जिससे किसी को इस केस में नामजद किया जा सके।
ऑपरेशन लोटस पर जल्द बड़ा खुलासा करेंगे शीतल अंगुराल
उधर भाजपा में शामिल होने के बाद शीतल अंगुराल ने कहा कि ऑपरेशन लोटस के मामले में क्या-क्या हुआ इसको लेकर वह जल्द ही बड़ा खुलासा करेंगे। वह बताएंगे कि आखिर पूरा माजरा क्या है। आरोप था कि भाजपा आप के विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है।
वित्त मंत्री चीमा ने लगाए थे आप सरकार गिराने के आरोप
पंजाब में आप की सरकार बनने के लगभग पांच महीने के बाद 13 सितंबर 2022 को वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने आरोप लगाया कि भाजपा आप सरकार को गिराना चाहती है। आप के विधायकों को 25-25 करोड़ में खरीदने के लिए ऑफर दी थी। जिसके बाद 14 सितंबर 2022 को मोहाली स्टेट क्राइम सेल में केस दर्ज किया। इसके बाद विजिलेंस ने इस मामले में एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का गठन किया गया। ऑपरेशन लोटस के कारण आम आदमी पार्टी और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के रिश्तों में भी दरार पैदा हो गई थी।
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विधानसभा में बुलाया गया था विशेष सत्र
ऑपरेशन लोटस के बाद राज्य सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। इस सत्र को राज्यपाल ने पहले मंजूरी दी लेकिन बाद में विपक्ष के नेताओं ने राज्यपाल को पत्र लिखकर इसका विरोध दर्ज करवाया। विपक्ष का कहना था कि पंजाब विधानसभा के नियमों के अनुसार सरकार विश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती है।
ऑपरेशन लोटस पर विवाद के बाद भी हाथ खाली
इसके बाद राज्यपाल ने विशेष सत्र बुलाने के लिए दी गई स्वीकृति को वापस ले लिया था। फिर पंजाब सरकार ने 27 सितंबर से तीन अक्टूबर 2022 तक सत्र बुलाने का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा। सरकार ने जो प्रस्ताव भेजा उसमें सरकारी कामकाज के लिए सत्र बुलाने की बात कही। सत्र बुलाने की मंजूरी मिलने के बाद सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव ले आई। विधानसभा में भी विपक्ष ने इसका विरोध किया था और जमकर हंगामा किया था। लेकिन जिस ऑपरेशन लोटस को लेकर इतना बवाल हुआ उसमें हाथ अभी तक खाली है।
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