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कॉमनवल्थ घोटाले के आरोपी कलमाडी और चौटाला बने IOA के आजीवन अध्यक्ष

इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के सूत्रों के मुताबिक ये फैसला एसोसिएशन की परंपराओं के अनुरूप ही लिया गया।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 27 Dec 2016 09:59 PM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2016 11:42 AM (IST)

नई दिल्ली[अभिषेक त्रिपाठी]। 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों में घोटाले के आरोपी सुरेश कलमाड़ी को भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) का मानद आजीवन अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनके साथ इनेलो नेता और हरियाणा ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष अभय चौटाला को भी आजीवन अध्यक्ष बनाया गया है। आइओए की मंगलवार को चेन्नई में हुई वार्षिक आम सभा (एजीएम) में यह फैसला लिया गया।

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कॉमनवेल्थ खेलों में घोटाले में जेल भेजे गए कलमाड़ी की इस पद पर नियुक्ति नए विवाद को जन्म दे सकती है। कलमाड़ी और अभय दोनों ही आइओए के अध्यक्ष रह चुके हैं। अभय के अध्यक्ष पद पर काबिज होने के बाद ही अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आइओसी) ने आइओए की मान्यता रद कर दी थी। एक राष्ट्रीय खेल संघ के अध्यक्ष ने कहा कि कई बार हम पूर्व अध्यक्ष को आजीवन अध्यक्ष का पद देते हैं।

कलमाड़ी और चौटाला के मामले में भी ऐसा ही हुआ है। ऐसा परंपरा के तहत किया गया है। कलमाड़ी और चौटाला की नियुक्ति का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, संयुक्त सचिव राकेश गुप्ता ने उनकी नियुक्ति का प्रस्ताव पेश किया और बैठक में सर्वसहमति से यह फैसला लिया गया। हालांकि सूत्रों का कहना है कि कलमाड़ी और अभय को दिया गया पद सिर्फ एक झुनझुना ही है, क्योंकि एन रामचंद्रन आइओए के अध्यक्ष हैं। ऐसे में इनके लिए करने को कुछ खास नहीं होगा।

बीएफआइ को मान्यता देने की ओर बढ़ा आइओए

आइओए और भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआइ) के बीच चली आ रही खींचतान जल्द खत्म हो सकती है। दो-तीन दिन के भीतर आइओए की विवाद निपटारा समिति बीएफआइ को नोटिस भेजेगी और उसके जवाब से संतुष्ट होने के बाद उसे मान्यता देने की शुरुआत की जाएगी। सोमवार को बीएफआइ के अधिकारी विवाद निपटारा समिति के समक्ष पेश भी हुए थे।बीएफआइ को खेल मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ पहले ही मान्यता दे चुका है। आइओए के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अधिकतर लोगों का मानना है कि अब बीएफआइ को मान्यता दे दी जानी चाहिए और हमने उस ओर कदम बढ़ा दिया है। मालूम हो कि आइओए ने आग्रह के बावजूद बीएफआइ के चुनावों में अपना पर्यवेक्षक नहीं भेजा था। उसने इससे पहले बॉक्सिंग इंडिया को भी मान्यता देने से इन्कार कर दिया था।

आइओए का मानना था कि भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ (जो 2012 में बर्खास्त किए जाने तक खेल का संचालन करता था) ही आइओए का सदस्य है। आइओए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि अब स्थितियां बदल गई हैं। एआइबीएफ की अधिकतर राज्य इकाइयों ने बीएफआइ को हलफनामा दिया है कि उन्होंने आइएबीएफ की सदस्यता छोड़ दी है। हमने इन शपथ पत्रों की जांच की है।

मालूम हो कि इस साल सितंबर में ही चार साल तक चले प्रशासनिक उथल पुथल को समाप्त करते हुए बीएफआइ ने व्यवसायी अजय सिंह को अपना अध्यक्ष चुना था, जबकि महाराष्ट्र के जय कोवली महासचिव चुने गए थे। आइओए के अधिकारी ने कहा कि नोटिस के जरिये बीएफआइ से पूछा जाएगा कि उसे क्यों आइओए की मान्यता दी जाए और उन्होंने इसको लेकर क्या-क्या कदम उठाए हैं? इसके अलावा भी उनसे कई सवाल पूछे जाएंगे। उनकी तरफ से उपयुक्त जवाब मिलने के बाद हम आगे की कार्रवाई करेंगे।

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