रियो के खराब प्रदर्शन की गाज खेल संघों पर
रियो ओलंपिक में खराब प्रदर्शन की गाज अब देश के राष्ट्रीय खेल संघों (एनएसएफ) के प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के लिए बनने वाले वार्षिक कैलेंडर (एसीटीसी) के बजट पर पड़ेगी
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। रियो ओलंपिक में खराब प्रदर्शन की गाज अब देश के राष्ट्रीय खेल संघों (एनएसएफ) के प्रशिक्षण और प्रतियोगिता के लिए बनने वाले वार्षिक कैलेंडर (एसीटीसी) के बजट पर पड़ेगी। भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) हर वित्त वर्ष के लिए खेल संघों का बजट तय करता है, लेकिन रियो के खराब प्रदर्शन के बाद उसने 24 अगस्त को बैठक करके पहली बार एसीटीसी की बीच में ही समीक्षा करने का निर्णय लिया था।
सूत्रों के मुताबिक साइ इस महीने ही बैठक करके एसीटीसी की समीक्षा कर सकता है और इसकी सबसे ज्यादा गाज एथलेटिक्स, कुश्ती और मुक्केबाजी पर पड़ सकती है। साइ ने पिछली बैठक में ही तय किया था कि आगामी ओलंपिक में प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए भारतीय खेलों के सुधार के लिए नौ मंत्रों पर कार्य किया जाएगा और इसमें एसीसीटीसी की वित्त वर्ष के बीच में ही समीक्षा सबसे ऊपर थी। साइ के एक अधिकारी ने बताया कि रियो में हमें सबसे ज्यादा पदक की उम्मीदें कुश्ती, मुक्केबाजी, बैडमिंटन, एथलेटिक्स और निशानेबाजी से थीं जिसमें कुश्ती, एथलेटिक्स और मुक्केबाजी ने हमें बेहद निराश किया है। कुश्ती में साक्षी मलिक ने पदक जीता जिनसे उम्मीद नहीं की गई थी।
भविष्य के सितारे नहीं
रियो के खराब प्रदर्शन के अलावा इस बात पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि किस खेल के पास भविष्य के सितारे हैं। साइ ने कहा कि इस बार कुश्ती से हमें योगेश्वर, नरसिंह और विनेश से पदक की उम्मीद थी। नरसिंह डोप में फंस चुके हैं, योगेश्वर और सुशील कुमार अगले ओलंपिक में नहीं खेल पाएंगे। महिलाओं में गीता फोगाट का भी करियर खत्म ही है। साक्षी मलिक भी शादी करने जा रही हैं और बबीता उस स्तर का प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं। सिर्फ विनेश फोगाट से अगले ओलंपिक में पदक की उम्मीद की जा सकती है। इसके अलावा पुरुषों में बजरंग और अमित दहिया के रूप में कुछ प्रतिभा है,लेकिन इनको अपने आप को अभी साबित करना होगा।
वहीं, मुक्केबाजी तो एडहॉक कमेटी के भरोसे चल रहा है। उसके हुक्मरान अपने फायदे के लिए बार-बार चुनाव टाल रहे हैं। ऐसे में सरकार को तो सोचना ही होगा। वहीं एथलेटिक्स से तो इस समय किसी तरह की आशा करना ही बेकार है। उसके पास नीरज चोपड़ा को छोड़कर अभी कोई ऐसा एथलीट नहीं है जो 2020 ओलंपिक में पदक का दावेदार नजर आ रहा हो।
कुश्ती को मिला था सबसे ज्यादा धन
साइ ने इस वर्ष कुश्ती के लिए एसीटीसी के तहत लगभग 32 करोड़, मुक्केबाजी के लिए 20 करोड़ और एथलेटिक्स के लिए 24 करोड़ रुपये का बजट रखा था। टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम के तहत इन खेलों के एथलीटों को प्रशिक्षण के लिए अलग से और धन मिला था। इसके साथ ही सभी खेलों के आमंत्रण टूर्नामेंट में खेलने पर भी लगाम लगेगी। विश्व, एशियन और कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के अलावा किसी प्रतियोगिता में खेलने के लिए खेल संघों को उसकी उपयोगिता बतानी होगी।
बैडमिंटन और जिम्नास्टिक्स को फायदा
सबसे ज्यादा मार1शटलर पीवी सिंधू के रजत पदक जीतने का फायदा बाकी बैडमिंटन खिलाड़ियों को मिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक सिंधू और के श्रीकांत के रियो में अच्छे प्रदर्शन और अगले ओलंपिक में कई पदक की उम्मीद के कारण भारतीय बैडमिंटन संघ का एसीटीसी का बजट आगे बढ़ाया भी जा सकता है। यही नहीं हैदराबाद में चल रही पुलेला गोपीचंद की अकादमी को भी अतिरिक्त धन दिया जा सकता है। रियो ओलंपिक की तैयारी के तहत उनकी अकादमी को करीब 30 लाख रुपये सरकार से मिले थे। इसी महीने खेल मंत्री विजय गोयल उनकी अकादमी का दौरा भी करेंगे। इसके अलावा साइ के अधिकारी जल्द ही रियो में जिम्नास्टिक्स के फाइनल में चौथे नंबर पर पहुंचने वाली दीपा करमाकर और उनके कोच बिशेश्वर नंदी के साथ मिलकर एक कार्यक्रम तैयार करेंगे। उनको और सुविधाएं दी जाएंगी।
बैडमिंटन और जिम्नास्टिक्स को फायदा
शटलर पीवी सिंधू के रजत पदक जीतने का फायदा बाकी बैडमिंटन खिलाड़ियों को मिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक सिंधू और के श्रीकांत के रियो में अच्छे प्रदर्शन और अगले ओलंपिक में कई पदक की उम्मीद के कारण भारतीय बैडमिंटन संघ का एसीटीसी का बजट आगे बढ़ाया भी जा सकता है। यही नहीं हैदराबाद में चल रही पुलेला गोपीचंद की अकादमी को भी अतिरिक्त धन दिया जा सकता है। रियो ओलंपिक की तैयारी के तहत उनकी अकादमी को करीब 30 लाख रुपये सरकार से मिले थे। इसी महीने खेल मंत्री विजय गोयल उनकी अकादमी का दौरा भी करेंगे। इसके अलावा साइ के अधिकारी जल्द ही रियो में जिम्नास्टिक्स के फाइनल में चौथे नंबर पर पहुंचने वाली दीपा करमाकर और उनके कोच बिशेश्वर नंदी के साथ मिलकर एक कार्यक्रम तैयार करेंगे। उनको और सुविधाएं दी जाएंगी।