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जब कोर्ट में नकली पैरों के बिना चले पिस्टोरियस, कुछ ऐसा था नजारा

29 वर्षीय पिस्टोरियस कोर्ट में लंबी सजा से बचने के लिए नकली पैरों के बिना चले। 2013 में हुई इस हत्या के लिए उन्हें कम से कम 15 साल की सजा हो सकती है।

By sanjay savernEdited By: Published: Thu, 16 Jun 2016 05:18 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jun 2016 05:22 PM (IST)
जब कोर्ट में नकली पैरों के बिना चले पिस्टोरियस, कुछ ऐसा था नजारा

प्रिटोरिया। पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता एथलीट ऑस्कर पिस्टोरियस को अपनी गर्लफ्रेंड रीवा स्टीनकैंप की हत्या के आरोप में लंबी जेल की सजा से बचाने के लिए बचाव पक्ष ने उन्हें कोर्ट रूम में नकली पैरों के बिना चलवाया। बचाव पक्ष यह बताना चाहता था कि नकली पैरों के बिना पिस्टोरियस कितने कमजोर हैं।

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29 वर्षीय पिस्टोरियस को 2013 में हुई इस हत्या के लिए कम से कम 15 साल की सजा हो सकती है। दूसरे पक्ष का कहना है कि पिस्टोरियस को इस बात का कोई पछतावा नहीं है। सुनवाई के तीसरे दिन ज्यादातर समय पिस्टोरियस अपना सिर हाथों में लिए पैरों पर लटकाए बैठे थे। पिस्टोरियस का कहना है कि उन्हें लगा था कि घर के टायलेट में कोई बाहरी व्यक्ति घुस आया है और इसलिए

उन्होंने चार गोलियां चलाई थी, लेकिन उन्हें बाद में पता चला कि वह रीवा थी। उन्होंने सभी कुछ अनजाने में किया। पिस्टोरियस के वकील बैरी रॉक्स ने ऑस्कर से कहा कि वह कोर्ट रूम में बिना अपने नकली पैरों के चलकर दिखाए, जिससे सभी को पता चल सके कि अकेले होने पर बाहरी व्यक्ति के घुसने से उन्हें कितना खतरा हो सकता है। भावुक पिस्टोरियस ने इसके बाद अपने नकली पैर निकाले और कोर्ट के टीवी कैमरे के सामने पांच मिनट तक खड़े रहे। इस दौरान आंखों से बह रहे आंसूओं को भी उन्होंने पोछा। जब वह थोड़ा सा चले तो वह काफी लड़खड़ा रहे थे।

वकील ने कहा कि नकली पैरों के बिना वे बहुत लाचार और कमजोर हो जाते हैं। साथ ही उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि पिस्टोरियस को जेल न भेजा जाए बल्कि कम्यूनिटी सर्विस करने की सजा दी जाए। जवाब में रीवा के वकील गैरी नेल ने अदालत से गोली लगने के बाद रीवा के खून से लथपथ शरीर और उस

जगह के फोटो दिखाने के लिए कहा।

रीवा के पिता ने मंगलवार को अदालत से आग्रह किया था कि पिस्टोरियस को उनके किए की सजा

मिलनी चाहिए।

इसलिए हैं ब्लैड रनर..

पिस्टोरियस जब छोटे थे तभी से उनके दोनों पैरों के निचले हिस्से खराब हो गए थे। वे रेस के दौरान कार्बन फाइबर के नकली पैर लगाकर दौड़ते थे, इसी वजह से उन्हें लोग ब्लैड रनर के नाम से

भी पहचाने जाने लगे।

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