मानसिक रूप से मजबूत नहीं हैं एथलीट: ऊषा
उड़नपरी पीटी ऊषा का मानना है कि सुविधाएं मिलने के बावजूद भी भारतीय एथलीट बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वह मानसिक रूप से मजबूत नहीं हैं। ऊषा ने कहा कि पहले एथलीटों का प्रदर्शन अच्छा था। हालांकि तब इतनी सुविधाएं नहीं थीं। उस समय से तुलना की जाए तो आज बेहतर सुविधाएं हैं, लेकिन खिलाड़ियों का प्रदर्शन उस स्तर तक नहीं पहुंचा है।
रांची। उड़नपरी पीटी ऊषा का मानना है कि सुविधाएं मिलने के बावजूद भी भारतीय एथलीट बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि वह मानसिक रूप से मजबूत नहीं हैं। ऊषा ने कहा कि पहले एथलीटों का प्रदर्शन अच्छा था। हालांकि तब इतनी सुविधाएं नहीं थीं। उस समय से तुलना की जाए तो आज बेहतर सुविधाएं हैं, लेकिन खिलाड़ियों का प्रदर्शन उस स्तर तक नहीं पहुंचा है।
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अपने करियर को याद करते हुए ऊषा ने कहा कि मौजूदा एथलीट जरा से शरीर के दर्द के बाद अभ्यास खत्म कर देते हैं, क्योंकि दिमाग इतना मजबूत नहीं है और एथलेटिक्स में अच्छा करने के लिए मजबूत दिमाग की जरूरत होती है। ऊषा की इस बात पर 53वीं राष्ट्रीय ओपेन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर बाधा दौड़ जीतने वाले आर. इलावरासी ने कहा कि इस महान एथलीट की उपलब्धि की बराबरी करने के लिए हमें पूर्णकालिक कोच और प्रायोजन की जरूरत है।
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इलावरासी ने कहा कि ओआर नांबियार सर पूरी तरह से ऊषा दीदी की ट्रेनिंग के प्रति समर्पित थे, वह उनकी ट्रेनिंग सुविधाओं से लेकर उनकी खाने की जरूरतों पर ध्यान देते थे। ऊषा अपने कोच की तरह ही वही सब करने की कोशिश कर रही हैं और 23 वर्षीय टिंटू लुका को ट्रेनिंग दे रही हैं, जो पिछले ओलंपिक में 11वें स्थान पर रही थी। इस पर ऊषा ने कहा कि अगर टिंटू अपनी स्पर्धा में एक सेकेंड का अंतर कर दे तो अगले ओलंपिक में पदक विजेताओं में शामिल हो सकती है।
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