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ग्लास्गो से लाख गुना बेहतर थे दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स: पीटी उषा

नई दिल्ली, (अभिषेक त्रिपाठी)। दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स को पानी पी-पीकर कोसने वाला विदेशी मीडिया 2014 में ग्लास्गो की बदइंतजामी पर चुप रहा, लेकिन अब वहां की पोल खुलने लगी है। दो सप्ताह से ज्यादा समय ग्लास्गो में बिताने के बाद भारत लौटीं दिग्गज एथलीट पीटी ऊषा गेम्स विलेज की बदइंतजामी पर वहां के आयोजकों पर जमकर बरसीं। भ्

By Edited By: Published: Tue, 05 Aug 2014 08:40 PM (IST)Updated: Tue, 05 Aug 2014 08:40 PM (IST)
ग्लास्गो से लाख गुना बेहतर थे दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स: पीटी उषा

नई दिल्ली (अभिषेक त्रिपाठी)।

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दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स को पानी पी-पीकर कोसने वाला विदेशी मीडिया 2014 में ग्लास्गो की बदइंतजामी पर चुप रहा, लेकिन अब वहां की पोल खुलने लगी है। दो सप्ताह से ज्यादा समय ग्लास्गो में बिताने के बाद भारत लौटीं दिग्गज एथलीट पीटी ऊषा गेम्स विलेज की बदइंतजामी पर वहां के आयोजकों पर जमकर बरसीं।

भारत की अब तक की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट ऊषा ने कहा, 'मैं ही नहीं अन्य देशों के एथलीट और कोच भी कह रहे थे कि दिल्ली में हुए पिछले गेम्स ग्लास्गो से लाख गुना बेहतर थे। सभी का कहना था कि दिल्ली ने बेहतर आयोजन किया था। ग्लास्गो गेम्स विलेज में लगातार बारिश के बीच एथलीटों के अभ्यास करने का भी मुकम्मल इंतजाम तक नहीं था।'

टिंटू लुका के कोच के तौर पर ग्लास्गो गई पूर्व स्प्रिंट क्वीन ने वहां की खामियों को उजागर करते हुए कहा, 'आठ एथलीट एक बाथरूम और एक टॉयलेट को साझा करने को मजबूर थे। कमरे अत्यंत छोटे थे और कैब पकड़ने के लिए बहुत दूर तक पैदल चलकर जाना पड़ता था। अगर दिल्ली में यह होता तो बवाल मच जाता। प्रतियोगिता के समय बारिश होती रही, लेकिन एथलीटों को अभ्यास के लिए जगह नहीं मिली। आयोजकों ने कुछ टेंट उपलब्ध कराए, लेकिन अधिकतर पानी से भर गए। जबकि प्रतियोगिता से पहले वॉर्म अप करना जरूरी होता है।'

1986 एशियाई खेलों में चार स्वर्ण जीतने वाली ऊषा ने कहा कि एथलेटिक्स के मुकाबलों के समय तो तकनीकी दिक्कत देखने को मिली। भारतीय लड़कियों ने चार गुणा 400 मीटर रिले के फाइनल्स में अपनी जगह पक्की कर ली थी और जब वह वॉर्मअप करके रेस के लिए एरीना में वापस आई तो अधिकारियों ने रोक लिया। उन्होंने कहा कि भारत ने फाइनल्स के लिए क्वालीफाई नहीं किया और आप अंदर नहीं जा सकतीं। यही नहीं उन्होंने किसी और देश के नाम की घोषणा भी कर दी। भारतीय टीम चौंक गई। यह फाइनल रेस से ठीक पहले हुआ और इससे हमारे कोच घबरा गए। बहुत भाग-दौड़ के बाद हमने जब रीकंफर्मेशन लेटर दिखाया तो उन्होंने क्षमा मांगकर अंदर जाने दिया। इससे पूरी टीम परेशान हो गई और उसका असर प्रदर्शन पर पड़ा।

ऊषा ने कहा कि इंग्लैंड और मेजबान स्कॉटलैंड के एथलीटों को फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने कई बार स्टार्ट लिस्ट भी बदली। 800 मीटर रेस के एक दिन पहले जो स्टार्ट लिस्ट दी गई और हमने उसी के तहत अपनी रणनीति बनाई, लेकिन रेस से ठीक पहले उसे बदल दिया गया। कॉमनवेल्थ गेम्स के स्तर पर ऐसा नहीं होता। सारी रणनीति स्टार्ट लिस्ट के अनुसार बनाई जाती है। मैं आश्चर्यचकित थी कि यह सब अंग्रेज धावकों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था।

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