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महिला ट्रेन ड्राइवरों की गर्भावस्था में हल्के काम देने की अपील, इन कठिनाइयों का करना होता है सामना

ड्यूटी के दौरान गर्भपात की शिकार महिला ट्रेन ड्राइवरों के एक समूह ने रेलवे बोर्ड से गर्भवती कर्मचारियों को इस अवधि में हल्के और दफ्तर में बैठकर करने वाले काम देने की अपील की है। उनका कहना है कि मातृत्व लाभ अधिनियम 2017 के तहत इस सुविधा की अवधि में उन्हें कार्यालय संबंधी गैर खतरनाक कार्य करने को दिए जाने चाहिए। इसके लिए उनका दूसरे विभाग में तबादला किया जाए।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Published: Thu, 23 May 2024 11:45 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2024 11:45 PM (IST)
महिला कर्मचारी से कठिन श्रेणी के कार्य नहीं कराए जा सकते। (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। ड्यूटी के दौरान गर्भपात की शिकार महिला ट्रेन ड्राइवरों के एक समूह ने रेलवे बोर्ड से गर्भवती कर्मचारियों को इस अवधि में हल्के और दफ्तर में बैठकर करने वाले काम देने की अपील की है। उनका कहना है कि मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के तहत इस सुविधा की अवधि में उन्हें कार्यालय संबंधी गैर खतरनाक कार्य करने को दिए जाने चाहिए। इसके लिए उनका दूसरे विभाग में तबादला किया जाना चाहिए।

महिला ट्रेन ड्राइवरों ने रेलवे बोर्ड को लिखे पत्र में कहा है कि इस अधिनियम के तहत गर्भवती महिलाओं से कठिन कार्य कराना प्रतिबंधित है। चूंकि इस प्रकृति के कामों से उनकी गर्भावस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। एक लोको पायलट के कामकाज की प्रकृति दुश्कर कार्यों की श्रेणी में आती है।

महिला कर्मचारी से कठिन श्रेणी के कार्य नहीं कराए जा सकते

रेलवे अधिनियम और मातृत्व लाभ अधिनियम की धारा चार के अनुसार महिला कर्मचारी से खतरनाक और कठिन श्रेणी के कार्य नहीं कराए जा सकते। कई बार गर्भपात का शिकार हुई एक महिला लोको पायलट ने बताया कि इंजन केबिन में कदम रखना ही बहुत कठिन लक्ष्य है। चूंकि केबिन की सीढ़ी ही जमीन से छह फीट ऊपर शुरू होती है। रेलवे स्टेशनों पर तो केबिन से जाना-आना आसान रहता है लेकिन रेलवे यार्ड या स्टेशनों के बाहर आउटर एरिया में केबिन में आना-जाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

शारीरिक और भावनात्मक रूप से हिला देने वाला काम

इसके अलावा, लोको पायलट और सहायक लोको पायलट को और भी कई दुष्कर कार्य करने होते हैं, जैसे ट्रेन के सामने आने वाले या कटने वाले जानवरों को ट्रेन के आगे से हटाना आदि। यह शारीरिक और भावनात्मक रूप से हिला देने वाला काम है। वरिष्ठ अधिकारियों से इस संबंध में अपील करने पर वह इनकार कर देते हैं। विगत आठ जनवरी को भारतीय रेल के लोको पायलटों के संगठन आईआरएलआरओ ने केंद्रीय चीफ लेबर कमिश्नर से इस संबंध में शिकायत की है।

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