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Coronavirus Pandemic को WHO द्वारा महामारी घोषित करने के क्या हैं मायने

Coronavirus के बढ़ते प्रकोप से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे महामारी (पैनडेमिक) घोषित किया है। आइए जानते हैं कि इस आशय की घोषणा के क्या मायने हैं?

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 10:21 AM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 10:49 AM (IST)
Coronavirus Pandemic को WHO द्वारा महामारी घोषित करने के क्या हैं मायने
Coronavirus Pandemic को WHO द्वारा महामारी घोषित करने के क्या हैं मायने

नई दिल्ली। Coronavirus विश्वव्यापी महामारी (पैनडेमिक) शब्द ग्रीक में पैन (सभी) और डेमोस (लोग) से मिलकर बना है। जब एक ही वक्त पर कई देशों और महाद्वीपों में महामारी बढ़ रही होती है, तो इसका प्रयोग किया जाता है। वहीं यह प्रकोप महामारी (एपीडेमिक) से अलग है। प्रकोप को ऐसी परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है, जो अभी तक नियंत्रण से बाहर हो गया है और केवल एक देश या फिर स्थान विशेष तक सीमित है। वहीं विश्वव्यापी महामारी (पैनडेमिक) बीमारी के प्रसार को बताती है, न की इसकी शक्ति अथवा इससे होने वाली मृत्यु को।

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11 साल बाद लौटी महामारी : महामारी पैमाने और शक्ति में भिन्न हो सकती है। इसका कोई निश्चित द्वार नहीं है जैसे सामने आए मामले या मौतें। लेकिन पिछले उदाहरण जिनमें एचआइवी, स्वाइन फ्लू और 1918 में स्पेनिश फ्लू शामिल हैं।

इतिहास में सबसे घातक महामारियों : में से एक ब्लैक डेथ थी, जिसने 20 करोड़ और चेचक से 20वीं शताब्दी में करीब 30 करोड़ लोग मारे थे। आखिरी बार डब्ल्यूएचओ ने 2009 में एच1एन1 इन्फ्लूएंजा को महामारी घोषित किया था।

घोषित करने की प्रक्रिया : 2009 के बाद से बहुत कुछ बदल गया है। जिसमें डब्ल्यूएचओ की प्रक्रियाएं भी शामिल हैं। संगठन का कहना है कि महामारी के रूप में प्रकोप को वर्गीकृत करने के लिए अब कोई औपचारिक प्रक्रिया नहीं है। इसकी बजाय 30 जनवरी को उन्होंने घोषित किया है कि महामारी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल है। अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों के अनुसार, किसी भी बीमारी के प्रकोप का वर्णन करने के लिए यह उच्चस्तरीय वर्गीकरण है।

पुरानी प्रणाली का प्रयोग नहीं : डब्ल्यूएचओ अब छह चरणों वाली पुरानी प्रणाली का उपयोग नहीं करता है, जो कि चरण एक (जानवरों के इन्फ्लूएंजा के कारण मानव संक्रमण की कोई रिपोर्ट नहीं) से छठे चरण (एक महामारी) तक होती है। जिससे 2009 में कुछ लोग एच1एन1 के समय से परिचित हो सकते हैं।

आसानी से फैलने वाला : डब्ल्यूएचओ ने इसे ऐसे रोगजनक के रूप में परिभाषित किया है जो वैश्विक स्तर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। इसका अर्थ है कि देशों या महाद्वीपों में व्यापक रूप से बीमारी फैलने पर इसे महामारी के रूप में चिह्नित किया जाएगा, जो आमतौर पर बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती है। साथ ही रोग संक्रामक होना चाहिए। कैंसर दुनिया में कई लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन यह संक्रामक नहीं है। इसी कारण यह महामारी नहीं है। साथ ही संक्रमण में आत्मनिर्भरता भी होनी चाहिए। जिसका अर्थ है कि इसका मानव से मानव में व्यापक प्रसार होना चाहिए।

महामारी कहने से होगा बदलाव : डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रॉस ने कहा कि उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल किया क्योंकि वह वैश्विक स्तर पर निष्क्रियता के स्तर को लेकर चिंतित थे। इसलिए संभावना है कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए राष्ट्रों पर और अधिक कदम उठाने के लिए दबाव बनाना चाह रहे हों। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ प्रकोप का आकलन कर रहा है और हम प्रसार और गंभीरता के खतरनाक स्तर और निष्क्रियता के खतरनाक स्तर दोनों से चिंतित हैं।

महामारी को रोकना संभव है : किसी भी महामारी को रोकना संभव है। वेलकम ट्रस्ट के निदेशक डॉ. जेरेमी फरार ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने इसे महामारी घोषित कर सही किया है। हम असाधारण समय में हैं। यह निर्णय आगामी दिनों में महत्वपूर्ण होंगे।

महामारी का आर्थिक प्रभाव : विश्व बैंक के अनुसार, गंभीर महामारी के लिए मध्यम वैश्विक लागत 570 अरब डॉलर (42,357 अरब रुपये) या दुनिया की आय का 0.7 फीसद है। 2002-03 में सार्स ने महज 8,000 लोगों को संक्रमित किया था, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को करीब 50 अरब डॉलर (3716 अरब रुपये) का नुकसान हुआ। हालांकि इसकी मृत्यु दर कम थी, जबकि कोरोना वायरस ज्यादा विनाशकारी हो सकता है। चीन ने सार्स के दौरान विश्व अर्थव्यवस्था का सिर्फ पांच प्रतिशत प्रतिनिधित्व किया। अब यह पांचवें और वैश्विक विकास का लगभग एक तिहाई है।

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