CAA: क्या है सीएए, जिसे शाह ने लोकसभा चुनाव से पहले लागू करने की कही बात; जानिए इससे क्या कुछ बदलेगा
What is CAA राम मंदिर के बाद अब भाजपा सीएए को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है। दरअसल आज ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए को लेकर बड़ा एलान किया है। शाह ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएए देश में लागू हो जाएगा। आखिर ये सीएए क्या है और इसका मुसलमान इसका इतना विरोध क्यों कर रहे हैं आइए जानते हैं।
जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। What is CAA लोकसभा चुनाव को करीब आते देख भाजपा ने अपनी कमर कस ली है। राम मंदिर के बाद अब भाजपा नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA Meaning) को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है। दरअसल, आज ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए को लेकर बड़ा एलान किया है।
शाह ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को देश में लागू कर दिया जाएगा।
आखिर ये सीएए क्या है और इसका मुसलमान इसका इतना विरोध क्यों कर रहे हैं, आइए जानते हैं...
क्या है CAA?
सीएए का फुल फॉर्म नागरिकता (संशोधन) अधिनियम है। नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act) एक ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी। लंबे समय से भारत में शरण लेने वालों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
मुसलमान CAA का विरोध क्यों कर रहे हैं?
सीएए का विरोध सबसे ज्यादा मुसलमान कर रहे हैं। दरअसल, इस कानून में इन तीन देशों से आए मुसलमानों को नागरिकता देने से बाहर रखा गया है। कई आलोचका का मानना है कि इस कानून से मुसलमानों से भेदभाव हो रहा है और ये भारत में समानता की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करता है।
उन्हें यह भी डर है कि इससे कुछ क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर में और अधिक प्रवासन और जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो सकते हैं।
CAA पर क्या कहती है सरकार?
सरकार का यह मानना है कि सीएए केवल मुस्लिम-बहुल देशों के सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता प्रदान करता है, जहां धार्मिक उत्पीड़न की संभावना अधिक है। भारत के मुस्लिमों या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है। सरकार का कहना है कि इन देशों में हिंदुओं से भेदभाव होता है न कि मुस्लिमों से, इसलिए इसमें मुस्लिमों को बाहर रखा गया है।
क्या CAA संवैधानिक है?
भारतीय संसद में CAA को वर्ष 2019 में 11 दिसंबर को पारित किया गया था, जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में पड़े थे और 105 वोट इसके खिलाफ थे। राष्ट्रपति ने इस विधेयक को 12 दिसंबर को मंजूरी दे दी थी।
पूर्वोत्तर में सीएए को लेकर क्यो विरोध?
पूर्वोत्तर के कुछ संगठनों का मानना है कि इस कानून से बिना दस्तावेज वाले हिंदू प्रवासियों को नागरिकता मिलेगी, जिससे उनकी जनसांख्यिकी बदल सकती है और संभावित रूप से उनके राजनीतिक अधिकारों, संस्कृति और भूमि अधिकारों पर असर पड़ सकता है।
कैसे होगा नागरिकता के लिए आवेदन?
सीएए के तहत नागरिकता पाने का आवेदन ऑनलाइन ही होगा। इसे लेकर एक ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया गया है। आवेदकों को नागरिकता पाने के लिए अपना वह साल बताना होगा जब वो भारत में आए थे। आवेदक से किसी तरह का कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा।
नागरिकता से जुड़े जितने भी मामले लंबित उन सबको ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया जाएगा। आवेदन करने के बाद गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा और आवेदक को नागरिकता दी जाएगी।