हमला रोकने के लिए अमेरिका ने बार-बार मांगी थी चीन से मदद
यूक्रेन के आसपास सैन्य जमावड़े की खुफिया जानकारियां साझा की थीं। अमेरिका ने चीन से हमले को रोकने के लिए कई बार मदद मांगी थी। चीन ने हर बार अमेरिकी अधिकारियों का अनुरोध ठुकराया- प्रतिबंधों की धमकी का भी चीन पर नहीं हुआ कोई असर।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। तीन महीने से ज्यादा समय तक अमेरिका के बाइडन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने चीन के शीर्ष अधिकारियों के साथ आधा दर्जन से ज्यादा आकस्मिक बैठकें कीं। इनमें उन्होंने उन खुफिया जानकारियों को साझा किया जिनके मुताबिक रूसी सैनिकों ने यूक्रेन की घेराबंदी कर ली थी। उन्होंने चीन से अनुरोध किया था कि वह रूस को आक्रमण नहीं करने के लिए मनाए। अधिकारियों के मुताबिक, विदेश मंत्री और अमेरिका में राजदूत समेत चीनी अधिकारियों ने हर बार अमेरिकियों को यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि उन्हें नहीं लगता कि आक्रमण की कोई तैयारी है।
दिसंबर में हुए एक राजयनयिक संवाद के बाद अमेरिकी अधिकारियों को यह खुफिया जानकारी मिली थी कि बीजिंग ने मास्को से कहा कि अमेरिका मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहा है और चीन रूस की योजना व कार्रवाई को बाधित करने की कोशिश नहीं करेगा।पूर्व में अमेरिकी और चीनी अधिकारियों के बीच पर्दे के पीछे हुई वार्ता से पता चलता है कि बाइडन प्रशासन ने यूक्रेन पर हमला रोकने के उद्देश्य से एक ऐसी सुपरपावर को मनाने के लिए खुफिया जानकारियों और कूटनीति का इस्तेमाल करने की कोशिश की थी जिसे वह उभरते हुए विरोधी के तौर पर देखता है और किस तरह राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व वाले देश ने लगातार रूस का पक्ष लिया जबकि मास्को की सैन्य आक्रमण की योजना के प्रमाण मिल चुके थे।
व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने चीन के राजदूत से यहां तक कहा था कि रूस ने अगर आक्रमण किया तो रूसी कंपनियों, अधिकारियों और कारोबारियों पर अमेरिका कड़े प्रतिबंध लगाएगा। ये प्रतिबंध उन प्रतिबंधों से भी कड़े होंगे जो 2014 में क्रीमिया पर रूसी हमले के बाद तत्कालीन ओबामा प्रशासन ने लगाए थे। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा था कि कारोबारी संबंधों की वजह से इन प्रतिबंधों का समय के साथ चीन पर भी असर होगा। उन्होंने इस बात का उल्लेख भी किया था कि उन्हें पता है कि 2014 के प्रतिबंधों से बचने के लिए चीन ने कैसे रूस की मदद की थी।ये सभी जानकारियां उन वरिष्ठ अधिकारियों से साक्षात्कार पर आधारित हैं जिन्हें इस तरह की वार्ताओं की जानकारी है, लेकिन कूटनीतिक संवेदनशीलता के मद्देनजर अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहते। चीन के दूतावास ने इस मामले में पूछे गए सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
एमआइ6 ने भी किया दावा
ब्रिटेन की विदेशी गुप्तचर एजेंसी एमआइ6 के प्रमुख रिचर्ड मूर ने कहा है कि अमेरिका और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों ने रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के यूरोप पर सबसे बड़े हमले का पता लगा लिया था। उन्होंने ट्वीट कर कहा, हमने आक्रमण को सही ठहराने के उनके झूठे झंडे लगाने और झूठे हमलों के प्रयास को भी उजागर कर दिया था।