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Manipur Violence : मणिपुर के आदिवासी प्रतिनिधिमंडल ने अमित शाह से की मुलाकात, सामने रखीं ये मांगें

आइटीएलएफ ने इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री को प्रेषित ज्ञापन में कहा था कि उन्होंने शवों को दफनाने की प्रकिया पांच और दिन टालने संबंधी शाह के अनुरोध पर कई पक्षकारों के साथ काफी विचार विमर्श किया है। शाह ने राष्ट्रीय राजधानी में उनके साथ बैठक के लिए आइटीएलएफ के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को निमंत्रण दिया था ताकि मणिपुर की स्थिति पर विचार-विमर्श किया जा सके।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Thu, 10 Aug 2023 12:27 AM (IST)Updated: Thu, 10 Aug 2023 12:27 AM (IST)
आइटीएलएफ के सचिव मुआन टोम्बिंग ने बताया कि हमारी पांच प्रमुख मांगें हैं।

नई दिल्ली, पीटीआई। जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में शांति बहाल करने के प्रयासों के तहत राज्य के आदिवासियों के समूह इंडिजनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आइटीएलएफ) ने बुधवार को यहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उनके सामने अपनी मांगें रखीं।

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आइटीएलएफ के सचिव ने दी जानकारी

आइटीएलएफ के सचिव मुआन टोम्बिंग ने बताया कि हमारी पांच प्रमुख मांगें हैं। इनमें आदिवासियों के लिए अलग से राजनीतिक प्रशासन और कुकी-जो समुदाय के सदस्यों के शवों को दफनाए जाने की मांग प्रमुख हैं। ये शव फिलहाल इंफाल में हैं और समूह की मांग है कि उन्हें चूड़चंदपुर लाकर दफनाया जाए।

मणिपुर की स्थिति पर विचार-विमर्श

आइटीएलएफ ने इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री को प्रेषित ज्ञापन में कहा था कि उन्होंने शवों को दफनाने की प्रकिया पांच और दिन टालने संबंधी शाह के अनुरोध पर कई पक्षकारों के साथ काफी विचार विमर्श किया है। शाह ने राष्ट्रीय राजधानी में उनके साथ बैठक के लिए आइटीएलएफ के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को निमंत्रण दिया था ताकि मणिपुर की स्थिति पर विचार-विमर्श किया जा सके।

मणिपुर में तीन मई को भड़की जातीय हिंसा

मणिपुर में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इंफाल घाटी में रहने वाले मैतेयी समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है जबकि पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-नगा आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है।

रैलियों का उद्देश्य

मणिपुर के नगा समुदाय ने निकाली रैलियां उधर, मणिपुर में नगा समुदाय के हजारों लोगों ने बुधवार को अपने क्षेत्रों में रैलियां निकालीं। इन रैलियों का उद्देश्य मसौदा समझौते के आधार पर केंद्र के साथ जारी शांति वार्ता को सफलतापूर्वक पूरा कराने का दबाव बनाना था। कड़ी सुरक्षा के बीच तामेंगलोंग, सेनापति, उखरुल और चन्देल के जिला मुख्यालयों में ये रैलियां निकाली गईं।

क्या कहता है मणिपुर के भौगोलिक क्षेत्र का हिस्सा?

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि किसी अन्य समुदाय के लिए अलग प्रशासन में नगा बाहुल्य क्षेत्रों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। मणिपुर में नगा जनजातियों की संस्था यूनाइटेड नगा काउंसिल (यूएनसी) ने नगा बाहुल्य इलाकों में इन रैलियों का आह्वान किया था। मणिपुर के भौगोलिक क्षेत्र का 90 प्रतिशत हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र है जहां दो, नगा और कुकी-जो जनजातियां रहती हैं। कुकी जनजातियों की संस्था कुकी इंपी मणिपुर (केआइएम) ने भी नगा बाहुल्य इलाकों में रैलियों को समर्थन किया।


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