राहत के अभाव में जिंदगी की जंग हार रहे लोग
रुद्रप्रयाग [बृजेश भट्ट]। केदारनाथ त्रासदी में फंसे लोग चार दिन तक मौत से जंग लड़ने के बाद थक चुके हैं। जंगलों में भटक रहे लोग खाना और राहत नहीं मिलने से अब दम तोड़ने लगे हैं। गुरुवार को ऐसी ही 13 जिंदगियों ने दम तोड़ दिया। पानी, दवा व भोजन नहीं मिल पाने के कारण यह स्थिति हुई। यदि अभी भी समय पर राहत नहीं पहुंची तो यहां फंसे कई
रुद्रप्रयाग [बृजेश भट्ट]। केदारनाथ त्रासदी में फंसे लोग चार दिन तक मौत से जंग लड़ने के बाद थक चुके हैं। जंगलों में भटक रहे लोग खाना और राहत नहीं मिलने से अब दम तोड़ने लगे हैं। गुरुवार को ऐसी ही 13 जिंदगियों ने दम तोड़ दिया। पानी, दवा व भोजन नहीं मिल पाने के कारण यह स्थिति हुई। यदि अभी भी समय पर राहत नहीं पहुंची तो यहां फंसे कई और लोग जिंदगी की जंग हार जाएंगे। वहीं, प्रशासन राहत के नाम पर झूठी सूचनाएं दे रहा है।
तस्वीरों में देखें : आपदा के बाद लोगों को कितना बुरा है हाल
प्रशासन ने आपादार्ग्रस्त क्षेत्रों में राहत के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए हैं, लेकिन हकीकत कुछ ओर ही है। त्रासदी के चार दिन बाद भी अभी तक केदारनाथ-गौरकुंड पैदल मार्ग पर कई स्थानों पर फंसे लगभग पांच हजार लोगों के लिए राहत नहीं पहुंच पा रही है। इन लोगों को भोजन तो दूर पानी तक नसीब नहीं हो पा रहा है। जान बचाने के लिए जंगल की ओर गए लोगों की स्थिति ज्यादा खराब है।
भूख और कमजोरी के कारण ये लोग न तो रास्ते तलाश पा रहे हैं और न ही इनके पास राहत ही पहुंच पा रही है। ऐसी ही स्थिति में गौरी गांव में बुधवार देर रात छह लोगों ने दम तोड़ दिया, इनमें तीन बच्चे व तीन महिलाएं शामिल हैं। जबकि, जंगलचट्टी में भी महिलाओं व बच्चों समेत सात लोगों ने पानी व भोजन न मिलने से मौत हो गई।
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केदारनाथ पैदल मार्ग पर फंसे करीब पांच हजार यात्रियों को यदि समय पर राहत नहीं मिली तो कई और लोगों की जान जाने की आशंका है। अभी तक जो राहत कार्य चलाए गए उससे कई स्थान अछूते हैं। गौरी गांव में भी बड़ी संख्या में यात्री फंसे हैं, लेकिन अभी तक यहां पर फंसे लगभग ढाई हजार से अधिक यात्रियों को निकालने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं हो पाए हैं। सेना व एनडीआरएफ की टीम पैदल फाटा से गौरीकुंड के लिए चली तो है, लेकिन अभी तक मौके पर नहीं पहुंच पाई है।
अपनी जान बचाने में सफल रहे गौरीकुंड निवासी व्यापारी प्रेम प्रकाश जुगरान को आईटीबीपी के हेलीकाप्टर से गोचर लाया गया। वे बताते हैं कि तीन दिन से गौरी गांव में फंसे अधिकांश लोगों तक भोजन नहीं पहुंच पाया है, ऐसे में अधिकांश बच्चे व महिलाएं अंतिम सांसे गिन रहे हैं। समय से यदि राहत न मिली तो सैकड़ों लोगों की मौत की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। वे बताते हैं कि बुधवार को छह लोगों ने उनके सामने दम तोड़ा।
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