पठानकोट आपरेशन के दौरान तालमेल में नहीं थी कमी: केंद्र सरकार
पठानकोट आतंकवादी हमले के दौरान चले आपरेशन में केंद्र सरकार में शीर्ष पर तालमेल की कमी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अनावश्यक दखलंदाजी के विपक्ष के आरोप को केंद्र सरकार ने सिरे से नकार दिया है।
नई दिल्ली। पठानकोट आतंकवादी हमले के दौरान चले आपरेशन में केंद्र सरकार में शीर्ष पर तालमेल की कमी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(एनएसए) की अनावश्यक दखलंदाजी के विपक्ष के आरोप को केंद्र सरकार ने सिरे से नकार दिया है। बुधवार को इस मामले पर हुई चर्चा के दौरान गृह मंत्री और रक्षा मंत्री दोनों ने ही एक आवाज में कहा कि पूरा ऑपरेशन बेहद अच्छे तालमेल के साथ हुआ। साथ ही ऑपरेशन की कमान सेना के ही हाथ में थी।
गृह मंत्री ने यह भी बताया कि सीमा की सुरक्षा को ले कर सरकार ने तकनीकी निगरानी के उपाय बढ़ा दिए हैं। इसके तहत लेजर उपकरण का उपयोग भी शुरू किया गया है। जल्दी ही इसके अनुभव को ध्यान में रखते हुए इसे पंजाब में पाकिस्तान से लगी सीमा पर व्यापक स्तर पर उपयोग किया जाएगा।
पठानकोट हमले को ले कर हो रही चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, 'विपक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के मंत्रालयों में जो सघन सहयोग होना चाहिए था, वह नहीं था। लेकिन हकीकत में सभी एजेंसियों के बीच बहुत अच्छा तालमेल था।'
उन्होंने कहा कि पंजाब का 558 किलोमीटर का इलाका पाकिस्तान से लगा हुआ है। इनमें 12 किलोमीटर में नदियां हैं। खास तौर पर इस इलाके की निगरानी के लिए सरकार ने अब तकनीकी का सहारा लेने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, 'पंजाब में 45 जगहों पर लेजर सिस्टम की व्यवस्था की गई है। पूरे बोर्डर की सुरक्षा आडिट कर रहे हैं। जहां भी जो कमी पाई जाएगी, उसे दूर किया जाएगा।'
इसी तरह रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी कहा कि इस दौरान सहयोग और तालमेल में कोई कमी नहीं थी। उन्होंने कहा, 'इस आपरेशन की कमान सेना के हाथ में थी। जब सैन्य बल और गैर सैन्य बल मिल कर कार्रवाई करते हैं, वहां सेना के हाथ में ही कमान होती है।' आपरेशन के देर तक चलने को ले कर पर्रिकर ने कहा, 'मैंने खास तौर पर सेनाध्यक्ष को कहा था कि अब हमारे जवानों की जान नहीं जानी चाहिए। एक बार हमने उन्हें घेर लिया है तो उन्हें भागने तो नहीं देंगे। इसमें चाहे समय लग सकता है।'
ऐसे मौकों पर तालमेल की व्यवस्था के बारे में पूछे गए विपक्ष के सवाल पर राजनाथ ने कहा, 'गृह सचिव की अध्यक्षता में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप काम करता है, जबकि कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी काम करती है। इन सब के ऊपर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सुरक्षा संबंधी मामलों की कैबिनेट समिति होती है। इस मामले में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के सारे अधिकारियों की बैठक हुई।
पूरे मामले की जानकारी भी मुझसे ली गई और आवश्यक दिशा-निर्देश भी मुझसे प्राप्त किए गए। इसको ले कर कहीं कोई विवाद नहीं होना चाहिए।' आपरेशन में एनएसजी को लगाए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि वहां तीन हजार परिवार रह रहे थे और शहरी इलाके में आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए एनएसजी ही प्रशिक्षित है। हालांकि आतंकवादी कहां से आए, इस संबंध में उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, 'अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। एनआइए जांच कर रही है।'
गृह मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार की चौकसी की वजह से सीमा पर घुसपैठ की घटनाओं में भारी कमी आई है। वर्ष 2014 के दौरान इसके 222 मामले हुए थे, लेकिन 2015 में सिर्फ 121 मामले हुए। उन्होंने कहा, 'यदि सीमाओं पर हमने चौकसी नहीं बरती होती तो यह 45 फीसदी की कमी कैसे आई होती?' इसी तरह उन्होंने बताया कि बीते वर्ष शहीद हुए सुरक्षा बलों के जवानों की संख्या में भी 17 फीसदी कमी आई। पाकिस्तान के साथ संबंधों को ले कर उन्होंने कहा, 'हम हर पड़ोसी के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं, लेकिन मान-सम्मान और स्वाभिमान की कीमत पर नहीं।'
पठानकोट के पैसे नहीं मांगे
गृह मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि पंजाब सरकार से पठानकोट आपरेशन के लिए कोई रकम नहीं मांगी गई है। गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने कहा, 'संसद में और मीडिया में यह कहा जा रहा है कि पठानकोट आपरेशन के लिए केंद्र सरकार ने 6.35 करोड़ रुपए पंजाब सरकार से मांगे हैं। जबकि यह रकम राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती को ले कर मांगी गई है, पठानकोट आपरेशन के लिए नहीं।'
अंदाज-ए-राजनाथ
इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान राजनाथ ने अपने विशेष अंदाज में माहौल की तनातनी को दूर कर दिया। उन्होंने कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान का हवाला देते हुए उनसे पूछा कि पप्पी-शप्पी क्या होता है? सिंधिया ने जवाब में कुछ कहा, मगर इस दौरान विपक्ष सहित पूरे सदन का माहौल काफी हल्का हो गया। राजनाथ ने भी मुस्कुराते हुए दो बार कहा, 'मैं वाकई जानना चाहता हूं। इसलिए मैने पूछा है।'
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