वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई गिरावट से भारत भी अछूता नहीं: अरुण जेटली
वित्तमंत्री अरुण जेटली का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की खराब हालत से भारत भी अछूता नहीं है। यह बात उन्होंने दावोस में जारी विश्व आर्थिक मंच की बैठक में वैश्विक अर्थव्यवस्था में जारी उथल-पुथल और भारत पर इसके असर से जुड़े सवाल के जवाब में कही।
दावोस। वित्तमंत्री अरुण जेटली का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की खराब हालत से भारत भी अछूता नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले यह यदा-कदा की बात होती थी लेकिन लेकिन आज हर दिन उतार-चढ़ाव नजर आता है। यह बात उन्होंने दावोस में जारी विश्व आर्थिक मंच की बैठक में वैश्विक अर्थव्यवस्था में जारी उथल-पुथल और भारत पर इसके असर से जुड़े सवाल के जवाब में कही। रोजगार के मुद्दे उन्होंने कहा कि हमारी आबादी बहुत ज़्यादा है, इसलिए देश में पारंपरिक तरीके की यानी पुरानी अर्थव्यवस्था इन सब लोगों को सरकारी सेक्टर में या प्राइवेट सेक्टर में रोज़गार के मौके नहीं दे सकती है। इसलिए इन लोगों के लिए नए तौर-तरीकों की ज़रूरत है।
वित्तमंत्री का कहना था कि वैश्विक मंदी के चलते हमारा निर्यात कम हुआ है। यह निर्यात पैसे के रूप में ज़्यादा घटा है, माल के रूप में कम, क्योंकि ख़रीदारों के पास ख़रीद के लिए पैसे नहीं हैं या फिर कम हैं। लेकिन इसके बाद भी हर अर्थव्यवस्था के लिए ये चुनौती है कि वह बंदिशों के बाद भी इन हालात को कैसे सामना करती है। हम दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था में से एक हैं और हमको लगता है कि हम बेहतर कर सकते हैं।'
उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें घटने का सीधा फायदा सरकार ने अपने उपभोक्ताओं तक पहुंचाया है। उन्होंने उन बयानों को गलत बताया जिनमें तेल कंपनियों को फायदा पहुंचाने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में आई कमी का नुकसान तेल कंपनियों को उठाना पड़ता है क्योंकि वह पहले ही अपना सौदा कर चुके होते हैं। इसके अलावा इसका एक हिस्सा उपभोक्ताओं और उन लोगों के बीच जो पेट्रोल और डीज़ल का इस्तेमाल करते हैं, गाड़ियां चलाते हैं जिनको सड़कों की ज़रुरत है। उन्होंने सरकार पर लगे आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि सरकार ने इस मुनाफे को अपनी जेब में नहीं रखा बल्कि सारी बचत बुनियादी सुविधाओं पर खर्च की है।
इस चर्चा में शामिल इकोनॉमी के प्रोफेसर नोरील रूबीनी कहते हैं कि निवेशकों में चीन की अर्थव्यवस्था में दिख रही गिरावट को लेकर चिंता है। लेकिन उन्होंने साफ किया कि हम 2008 जैसी मंदी के दौर में वापस नहीं जा रहे हैं। यह सच है कि हम एक महत्वपूर्ण वित्तीय और आर्थिक उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहे हैं। तेल की कीमतों में गिरावट का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर समग्र रूप से सकारात्मक असर पड़ेगा।
विकास की अनदेखी किए बिना राजकोषीय संतुलन बनाने की कवायद
इस बैठक में एनडीटीवी के विक्रम चंद्रा ने केंद्रीय वित्त और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली, सिस्को के कार्यकारी अध्यक्ष जॉन चैम्बर्स, भारती इंटरप्राइज़ेज़ के सुनील मित्तल और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर नोरील रूबीनी से भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े सवालों के जवाब जानने की कोशिश की।
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