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विकास की अनदेखी किए बिना राजकोषीय संतुलन बनाने की कवायद

केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि विकास की जरूरतों की अनदेखी किए बिना बजट में राजकोषीय संतुलन बनाने की कवायद जारी रहेगी। राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के भीतर रखने के लिए चालू वित्त वर्ष के विकास और व्यय बजट में किसी तरह की कटौती नहीं होगी।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2016 05:25 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2016 05:36 PM (IST)

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि विकास की जरूरतों की अनदेखी किए बिना बजट में राजकोषीय संतुलन बनाने की कवायद जारी रहेगी। राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के भीतर रखने के लिए चालू वित्त वर्ष के विकास और व्यय बजट में किसी तरह की कटौती नहीं होगी।

वित्त मंत्रालय ने इस आशय की सभी शंकाओं को निर्मूल बताते हुए स्पष्ट किया है कि सरकार सतत और समावेशी विकास के प्रति वचनबद्ध है। इसके लिए बजट में किए गए प्रावधानों पर बने रहते हुए राजकोषीय संतुलन बनाने की कोशिश की जा रही है।

मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि वर्ष 2015-16 के लिए बनी नीति का ही परिणाम है कि नवंबर 2015 के समाप्त होने तक देश का राजकोषीय घाटा 4.83 लाख करोड़ पर सीमित रहा है। यह बजट के लिए अनुमानित घाटे का 87 फीसद है। चालू वित्त वर्ष के लिए 5.55 लाख करोड़ रुपये के राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया गया है जो जीडीपी का 3.9 फीसद है।

मंत्रालय के मुताबिक देश की राजकोषीय स्थिति में पिछले साल के मुकाबले इस साल काफी सुधार हुआ है। नवंबर की समाप्ति तक पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट में प्रस्तावित घाटे के 98 फीसद के स्तर तक पहुंच गया था। इस लिहाज से देखें तो राजकोषीय घाटे में बीते साल के मुकाबले इस साल नवंबर में 41611 करोड़ रुपये की कमी हुई है।

इसी तरह राजस्व घाटे में भी बीते साल नवंबर के मुकाबले इस साल करीब 20 फीसद की कमी दर्ज की गई है। जबकि इसके मुकाबले मंत्रालय के मुताबिक नवंबर में कुल खर्च बीते साल के मुकाबले ज्यादा रहा है। नवंबर 2014 में कुल अनुमानित व्यय का 60 फीसद खर्च किया गया था। जबकि नवंबर 2015 में यह 64 फीसद के स्तर तक पहुंच गया है।


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