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मासूम की हत्या मामले में उड़ीसा हाई कोर्ट का आदेश रद, सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता के पिता की याचिका पर सुनाया फैसला

शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए लड़की के पिता द्वारा दाखिल रिट याचिका को बहाल किया ताकि इस पर नए सिरे से विचार किया जा सके। जस्टिस एएम खानविलकर व जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने यह आदेश सुनाया।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 24 Aug 2021 01:23 AM (IST)Updated: Tue, 24 Aug 2021 01:23 AM (IST)
जस्टिस एएम खानविलकर व जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने यह आदेश सुनाया

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उड़ीसा हाई कोर्ट के एक आदेश को रद कर दिया, जिसमें पांच साल की दुष्कर्म पीडि़ता के पिता की याचिका पर फैसला सुनाया गया था। पिछले साल दुष्कर्म के बाद मासूम की हत्या कर दी गई थी। उसके पिता की तरफ से दाखिल याचिका में मामले की हो रही जांच पर चिंता जताई गई थी।

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हाई कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में अपने आदेश में लड़की के पिता को उचित राहत पाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता के प्रविधान के तहत संबंधित निचली अदालत में जाने को कहा था। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए लड़की के पिता द्वारा दाखिल रिट याचिका को बहाल किया, ताकि इस पर नए सिरे से विचार किया जा सके। जस्टिस एएम खानविलकर व जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने यह आदेश सुनाया।

मासूम का पिछले साल 14 जुलाई को ओडिशा के नयागढ़ जिले में उसके घर के बाहर से खेलते समय कथित रूप से अपहरण कर लिया गया था। 23 जुलाई को घर के पिछले हिस्से से लड़की का शव मिला। लड़की के माता-पिता ने 24 नवंबर को भुवनेश्वर में विधानसभा के सामने आत्मदाह की कोशिश की थी, जिसके बाद ही घटना प्रकाश में आई थी। मामले में जांच कर रहे विशेष जांच दल ने पिछले साल एक आरोपित को गिरफ्तार किया था।

राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

वहीं, दूसरू ओर एक अन्य मामले मे अपनी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म करने के आरोपित व्यक्ति को जमानत देने के राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में कम-से-कम अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज होने तक न्याय के हित में आरोपित का जेल में रहना जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपित को एक सप्ताह के अंदर सक्षम अदालत के समक्ष समर्पण करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने पीडि़ता द्वारा पिता को जमानत देने के हाई कोर्ट के पिछले साल सितंबर में दिए गए आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर यह आदेश सुनाया।


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