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अंतरिक्ष जाकर लौट आया पहला स्वदेशी यान

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पंखों वाले यान का सुबह सात बजे प्रक्षेपण हुआ।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 23 May 2016 08:51 PM (IST)Updated: Mon, 23 May 2016 09:15 PM (IST)
अंतरिक्ष जाकर लौट आया पहला स्वदेशी यान

बेंगलुरु, प्रेट्र। अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए भारत ने सोमवार को अपने पहले स्वदेशी तथा पुन: प्रयोग हो सकने वाले अंतरिक्ष यान आरएलवी-टीडी का सफल परीक्षण किया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पंखों वाले यान का सुबह सात बजे प्रक्षेपण हुआ।

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सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के लांच पैड से विशेष रॉकेट बूस्टर से यह 65 किलोमीटर ऊंचाई तक अंतरिक्ष में गया और फिर पृथ्वी के वातावरण में पुन: प्रवेश करते हुए बंगाल की खाड़ी में उतर गया। वायुयान जैसा दिखने वाले इस यान की अंतरिक्ष उड़ान और वापसी की अवधि 770 सेकेंड रही।

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इसरो के बयान में बताया गया है कि वापसी में इसकी गति ध्वनि की गति से पांच गुणा अधिक थी और उसकी दिशा, निर्देशन और नियंत्रण व्यवस्था पूरी तरह सटीक रही। पृथ्वी की कक्षा में पुन: प्रवेश के समय उच्च तापमान से बचाव के लिए थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (टीपीएस) से मदद मिली। श्रीहरिकोटा से 450 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में यान को उतार कर भारत पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले यान बनाने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। अब तक यह क्षमता केवल अमेरिका, रूस ,फ्रांस व जापान के पास ही है। इससे अब अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने का खर्च दस गुणा तक कम हो जाएगा।

आरएलवी-टीडी इस मिशन को हालांकि इस दिशा में अभी आरंभिक कदम बताया गया है, इसमें पूर्णता पाने में दस से 15 साल लग सकते हैं। यान समुद्र में उतरने के बाद पुन: प्राप्त नहीं हो सका है क्योंकि पानी की सतह पर आते ही इसका विखंडन हो गया। इसका डिजायन अभी ऐसा नहीं बनाया गया कि वापसी के बाद तैर सके। अभी मूल उद्देश्य यान को अंतरिक्ष ले जाने और वापसी में सक्षम बनाने का था। इसमें इस्तेमाल की गई समक्ष तकनीक कामयाब रही।

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राष्ट्रपति अौर प्रधानमंत्री ने दी बधाई

'इसरो टीम को भारत के पहले सफल अंतरिक्ष यान की सफलता के लिए हृदय से बधाई'

प्रणब मुखर्जी,राष्ट्रपति

'भारत के पहले स्वदेशी अंतरिक्ष शटल के प्रक्षेपण की सफलता हमारे वैज्ञानिकों के कडे़ परिश्रम का परिणाम है। उन्हें बधाई। इन वर्षो में जिस जोश और समर्पण से वैज्ञानिकों और इसरो ने काम किया वह बहुत प्रेरणादायी है।'

नरेंद्र मोदी,प्रधानमंत्री

ऐसा है अंतरिक्ष यान

वजन-1.75 टन

लंबाई -6.5 मीटर

आकार-एसयूवी के बराबर

ईधन- ठोस

मिशन का खर्च-95 करोड़ रुपये

अनुसंधान का समय- पांच साल

रॉकेट का वजन-15 टन


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