सड़क हादसे को तीस हजारी की विशेष अदालत ने नहीं माना गैरइरादतन हत्या
दिल्ली में हुए सड़क हादसे में मौत के मामले में तीस हजारी की विशेष अदालत ने गैर इरादतन हत्या मानने से इन्कार कर दिया।
नई दिल्ली, (जागरण संवाददाता)। तीस हजारी की विशेष अदालत ने सड़क हादसे में एक व्यक्ति की मौत के मामले को गैर इरादतन हत्या मानने से इन्कार कर दिया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने टेंपो चालक मनप्रीत सिंह पर आइपीसी की धारा- 304 (गैर इरादतन हत्या) का मुकदमा दर्ज किया था। लंबे ट्रायल के बाद अदालत ने कहा कि पुलिस ने मौके पर मौजूद चश्मदीदों के बयान दर्ज नहीं किए जो आरोपों को साबित करने में अहम थे।
बीते दिनों सिविल लाइन इलाके में हुए मर्सिडीज हिट एंड रन मामले में भी दिल्ली पुलिस ने नाबालिग पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा ही दर्ज किया है। कानून में संशोधन होने के बाद अदालत ने नाबालिग पर व्यस्क की तरह ट्रायल चलाने का निर्णय लिया था।
मामले में न्यायाधीश नरेंद्र कुमार ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित कर पाने में विफल रहा है कि दोषी ने जानबूझ कर मृतक राजपाल सैनी को टक्कर मारी है। ट्रायल के दौरान पेश सुबूतों और मेडिकल रिपोर्ट से लापरवाही से वाहन चलाए जाने के कारण मौत की पुष्टि हुई है।
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आइपीसी की धारा- 304 ए (लापरवाही के चलते मौत) व 279 (लापरवाही से वाहन चलाना) के तहत दोषी करार देते हुए अदालत ने मनप्रीत को 11 माह और नौ दिन कैद की सजा सुनाई। यह अवधि वह पहले ही जेल में काट चुका है। मामले की गंभीरता को देखते हुए दोषी को वारदात के तुरंत बाद जमानत नहीं दी गई थी। अदालत ने दोषी पर गैर इरादतन हत्या की धारा में ही आरोप तय किए थे। यह वारदात 24 जनवरी 2013 को देर रात साढ़े 12 बजे हुई थी।
मृतक परिवार के साथ शादी समारोह से घर लौट रहे थे। तभी वजीराबाद पुल के पास एक टेंपो चालक उनके वाहन को हल्की टक्कर मारने के बाद फरार हो गया। उसे ओवरटेक कर तिमारपुर इलाके में रुकवाया गया। दोषी मृतक को टक्कर मारते हुए वहां से फरार होने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसे मौके पर ही दबोच लिया गया। वारदात के चार दिन बाद राजपाल सैनी ने इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया था।
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