नई दिल्ली, जेएनएन। Tejas Fighter Jet Features: मलेशिया की पहली पसंद बनने के बाद स्वदेशी तेजस युद्धक जेट विमान सुर्खियों में हैं। इस भारतीय विमान का मुकाबला चीन, रूस और दक्षिण कोरिया के विकसित विमानों से था, लेकिन अपनी बेहतरीन खूबियों के कारण यह सब पर भारी पड़ा। इन देशों के विमानों से भारत का तेजस सर्वश्रेष्ठ साबित हुआ। आइए जानते हैं कि इस तेजस की क्या खूबियां हैं। अपनी किन खूबियों के कारण यह मलेशिया का पहली पंसद बना। इसके साथ इसकी अन्य विमानों से तुलना भी जानेंगे।
1- रक्षा विशेषज्ञ प्रो अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है कि तेजस विमान भारत का पहला स्वदेशी लड़ाकू विमान है। उन्होंने कहा कि इसमें 60 फीसद से ज्यादा कलपुर्जे देश में ही निर्मित हैं। इसकी दो श्रेणियां हैं। इसमें मार्क-1ए और 10 तेजस मार्क-1ए (ट्रेनर) या प्रशिक्षण विमान हैं। एक तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान की कीमत 550 करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमान से अधिक है। खास बात यह है कि सुखोई विमानों का उत्पादन भी एचएएल ही करती है। उनका कहना है कि तेजस मार्क-1ए, सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से इसलिए भी महंगा है, क्योंकि इसमें कई आधुनिक उपक्रम जोड़े गए हैं। मसलन इसमें इसरायल में विकसित रडार हैं। इसके अलावा इस विमान में स्वदेश में विकसित किया हुआ रडार भी है। यह विमान काफी हल्का है और इसकी मारक क्षमता भी बेहतर है। यह बहुआयामी लड़ाकू विमान है।
2- उन्होंने कहा कि तेजस युद्धक विमान सुखोई विमानों से ज्यादा हल्के हैं। ये विमान आठ से नौ टन तक बोझ लेकर उड़ने में सक्षम हैं। इनकी सबसे बड़ी खूबी इसकी गति है। हल्के होने के कारण इनकी गति बेजोड़ है। ये विमान 52 हजार फीट की ऊंचाई तक ध्वनि की गति यानी मैक 1.6 से लेकर 1.8 तक की तेजी से उड़ सकते हैं। तेजस विमानों में नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसमें क्रिटिकल आपरेशन क्षमता के लिए एक्टिव इलेक्ट्रानिकली-स्कैन्ड रडार यानी इलेक्ट्रानिक रूप से स्कैन रडार, बियांड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल, इलेक्ट्रानिक वारफेयर सुइट से संपन्न है। यह हवा में ईंधन भर सकता है और जंग के लिए दोबारा तैयार हो सकता है।
3- तेजस विमान दूर से ही दुश्मन के विमानों पर निशाना साध सकता है। इतना ही नहीं यह दुश्मन के रडार को भी चकमा देने की क्षमता रखता है। ये विमान उतने ही हथियार और मिसाइल लेकर उड़ सकता है, जितना इससे ज्यादा वजन वाला सुखोई विमान। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब भारतीय वायु सेना के बेड़े में लड़ाकू विमानों की कमी हो रही है, इस तेजस का स्वागत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस विमान के कलपुर्जें बनाएंगी। तेजस विमानों की इस परियोजना की नींव वर्ष 1983 में ही रखी गई थी। तेजस ने अपनी पहली उड़ान वर्ष 2001 के जनवरी में भरी थी। इस विमान को भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन में 2016 में ही शामिल किया जा सका।
मलेशिया की पहली पसंद बने तेजस
1- गौरतलब है कि भारत के स्वदेशी तेजस युद्धक जेट विमान मलेशिया की पहली पसंद बन गए हैं। इस दक्षिणपूर्वी एशियाई देश ने अपने पुराने युद्धक विमानों की जगह अत्याधुनिक तेजस विमानों की खरीद पर भारत से बातचीत शुरू कर दी है। हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर आर.माधवन ने एक साक्षात्कार में बताया कि भारतीय युद्धक विमान को चुनने से पहले मलेशिया ने चीन के जेएफ-17 जेट, दक्षिण कोरिया के एफए-50 और रूस के मिग-35 और याक-130 विमानों के विकल्पों पर भी विचार किया था। लेकिन इन देशों के विमानों से इतर मलेशिया को अपनी वायुसेना के लिए भारत का तेजस सर्वश्रेष्ठ लगा।
2- भारत ने मलेशिया को उसके रूसी मूल के विमानों एसयू-30 के लिए देखरेख, मरम्मत और जीर्णोद्धार की सुविधा बतौर पैकेज देने का भी प्रस्ताव किया है। रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण मलेशिया को रूसी विमानों के स्पेयर पार्ट्स को हासिल करने में परेशानी हो रही है। माधवन ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि यह रक्षा सौदा बहुत जल्द मंजूर होगा। यह सौदा पक्का होने से अन्य संभावित खरीददार देशों को भी बहुत अच्छा संकेत मिलेगा और तेजस के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। समझौता अंतिम चरण में है और भारत अकेला देश है जो एसयू-विमानों की देखरेख का प्रस्ताव भी दे रहा है। चीन का जेएफ-17 सस्ता विकल्प जरूर था लेकिन वह तेजस के एमके-आइए वैरिएंट के उच्च तकनीकी मापदंडों के मुकाबले में कहीं टिक नहीं रहा था।
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